भारतीय सेना के चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ, जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने हाल ही में एलएसी (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल), एलओसी (लाइन ऑफ कंट्रोल), और मणिपुर सहित कई संवेदनशील मुद्दों पर जानकारी दी। उन्होंने सेना की रणनीतियों, चुनौतियों और भविष्य के दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला। उनका मिशन है भारतीय सेना को आत्मनिर्भर और भविष्य के लिए तैयार एक सशक्त बल बनाना, जो राष्ट्रीय सुरक्षा तंत्र का एक मजबूत और प्रासंगिक स्तंभ हो।
पूर्वी लद्दाख: स्थिरता और मजबूत तैनाती सेना प्रमुख ने बताया कि एलएसी पर स्थिति संवेदनशील लेकिन स्थिर बनी हुई है। उन्होंने कहा, “पूर्वी लद्दाख के देपसांग और डेमचोक जैसे क्षेत्रों में स्थिति सुलझ गई है और वहां पारंपरिक गश्त फिर से शुरू हो गई है। हमारे कमांडर्स को जमीनी स्तर पर संवेदनशील मुद्दों को हल करने की स्वतंत्रता दी गई है।”
जनरल द्विवेदी ने सेना की तैयारियों पर जोर देते हुए कहा कि उत्तरी सीमाओं पर तैनाती संतुलित और मजबूत है। सेना किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है। क्षमता विकास कार्यक्रम के तहत सेना ने युद्ध प्रणाली में आधुनिक तकनीकों को शामिल किया है, जो भविष्य की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाएगी।
पाकिस्तान नियंत्रण रेखा: आतंकवाद से पर्यटन तक का सफर पाकिस्तान के साथ नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर स्थिति की चर्चा करते हुए सेना प्रमुख ने कहा कि 2021 में डीजीएमओ के बीच हुए समझौते के बाद से संघर्ष विराम जारी है। हालांकि, पाकिस्तान की ओर से आतंकवाद को बढ़ावा देने की कोशिशें जारी हैं।
उन्होंने बताया कि पिछले साल मारे गए आतंकियों में 60% पाकिस्तानी मूल के थे। वर्तमान में भी घाटी और जम्मू क्षेत्र में बचे हुए आतंकियों में लगभग 80% पाकिस्तानी मूल के हैं। इसके बावजूद, जम्मू-कश्मीर में स्थिति नियंत्रण में है।
जनरल द्विवेदी ने इस वर्ष अमरनाथ यात्रा का उल्लेख करते हुए बताया कि लगभग पांच लाख तीर्थयात्रियों ने इसमें भाग लिया। उन्होंने इसे सकारात्मक बदलाव की दिशा में बड़ा कदम बताया। “आतंकवाद से पर्यटन की थीम” अब आकार ले रही है, और शांतिपूर्ण चुनावों ने क्षेत्र में स्थिरता और विकास की नई उम्मीदें जगाई हैं।
मणिपुर और पूर्वोत्तर: शांति की ओर बढ़ता कदम मणिपुर और पूर्वोत्तर की स्थिति पर बात करते हुए जनरल द्विवेदी ने कहा कि सुरक्षा बलों और सरकार के प्रयासों से यहां की स्थिति में सुधार हो रहा है। हालांकि, कुछ हिंसक घटनाएं अभी भी जारी हैं। उन्होंने बताया कि विभिन्न गैर सरकारी संगठन और सामुदायिक नेता मेल-मिलाप स्थापित करने में सक्रिय हैं।
भारत-म्यांमार सीमा पर निगरानी बढ़ा दी गई है, ताकि म्यांमार की अशांति का असर भारतीय क्षेत्रों पर न पड़े। सेना ने मानवीय सहायता और आपदा राहत कार्यों के लिए 17 करोड़ रुपये खर्च कर क्यूआरटी और मेडिकल टीमों को अपग्रेड किया है।
भारतीय नौसेना के साथ समन्वय जनरल द्विवेदी ने भारतीय नौसेना के सहयोग की सराहना की। उन्होंने कहा कि पैंगोंग त्सो झील में नौसेना की विशेष भूमिका है। इसके अलावा, भारतीय नौसेना और सेना ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में उभयचर टास्क फोर्स पर मिलकर काम किया है। सेना और नौसेना ने हिंद महासागर क्षेत्र में रणनीतिक योजनाओं को लागू करने के लिए आपसी सहयोग को बढ़ावा दिया है।
राष्ट्रीय निर्माण और सुरक्षा: सेना की व्यापक भूमिका सेना प्रमुख ने कहा कि भारतीय सेना केवल राष्ट्रीय सुरक्षा में ही नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण में भी योगदान देती है। उनका लक्ष्य है कि सेना को आत्मनिर्भर और आधुनिक बनाया जाए ताकि यह देश की सुरक्षा और विकास में सार्थक योगदान दे सके।
सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी के नेतृत्व में भारतीय सेना एक मजबूत, आत्मनिर्भर और तकनीकी रूप से सक्षम बल के रूप में उभर रही है। चाहे वह उत्तरी सीमाओं पर स्थिरता बनाए रखने की बात हो, आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदम उठाने की, या पूर्वोत्तर में शांति स्थापित करने की—भारतीय सेना हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है। उनका यह विजन देश की सुरक्षा और विकास के लिए एक नई दिशा प्रदान करता है।
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