घने कोहरे में IGI एयरपोर्ट पर फ्लाइट्स का संचालन

एक रोमांचक सफर की कहानी

सर्दियों की ठंडी सुबह और दिल्ली के आसमान में छाए घने कोहरे के बावजूद, इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय (IGI) एयरपोर्ट पर विमानों का उड़ना और उतरना किसी चमत्कार से कम नहीं लगता। क्या आपने कभी सोचा है कि लगभग शून्य दृश्यता में भी ये विमान कैसे सफलतापूर्वक टेक-ऑफ और लैंड कर पाते हैं? इसके पीछे छिपा है अत्याधुनिक तकनीक, अनुशासन, और एक सटीक योजना का अद्भुत संगम।
आइए, इस रोमांचक सफर को गहराई से समझें और जानें कि IGI एयरपोर्ट इस चुनौती को कैसे पार करता है।
तकनीक की ताकत: CAT III-B और CAT III-C
IGI एयरपोर्ट का लैंडिंग सिस्टम किसी सुपरहीरो के गैजेट से कम नहीं है।
CAT III-B: यह प्रणाली विमानों को सिर्फ 50 मीटर दृश्यता में लैंड करने की अनुमति देती है।
CAT III-C: पूरी तरह से स्वचालित लैंडिंग संभव बनाती है, जहां पायलट को केवल सिस्टम की निगरानी करनी होती है।
हालांकि, भारत में CAT III-C का उपयोग सीमित है।
IGI एयरपोर्ट के तीनों रनवे CAT III-B से लैस हैं, जिससे दुनिया के सबसे उन्नत एयरपोर्ट्स में इसकी गिनती होती है।
पायलटों की विशेष तैयारी
यह सिर्फ तकनीक का खेल नहीं है, बल्कि इसमें कुशल पायलटों की अहम भूमिका है।
केवल उन पायलटों को घने कोहरे में उड़ान भरने की अनुमति दी जाती है, जिन्होंने CAT III-B और CAT III-C संचालन का गहन प्रशिक्षण लिया हो।
पायलटों के इस कौशल को हर साल ताजा किया जाता है, ताकि वे किसी भी परिस्थिति का सामना कर सकें।
नेविगेशन उपकरण: कोहरे में आंखें
इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (ILS): यह कोहरे में रनवे की सटीक जानकारी प्रदान करता है।
Surface Movement Radar (SMR): घने कोहरे में विमानों की स्थिति पर नजर रखता है और ATC को सटीक दिशा-निर्देश देता है।
Runway Visual Range (RVR): रनवे की दृश्यता को मापने में मदद करता है, जो पायलटों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है।
आंकड़े जो बताते हैं कहानी
घने कोहरे में उड़ानों के संचालन की सफलता को आंकड़े भी प्रमाणित करते हैं:
2023-24 के सर्दियों में, दिसंबर और जनवरी के दौरान 85% उड़ानें CAT III-B प्रणाली का उपयोग करके सफलतापूर्वक लैंड हुईं।
औसतन, हर साल 20-30 दिन ऐसे होते हैं जब दृश्यता 200 मीटर से भी कम होती है।
कोहरे के मौसम में फ्लाइट डायवर्जन की दर 10% से कम है, जो अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार उत्कृष्ट है।
चुनौतियां: कोहरे का मुकाबला
विलंब: विमानों को ज्यादा समय तक होल्डिंग पैटर्न में रहना पड़ता है।
डायवर्जन: कोहरे की स्थिति बिगड़ने पर विमानों को जयपुर, लखनऊ, या अमृतसर जैसे अन्य एयरपोर्ट्स पर भेजा जाता है।
यात्रियों की परेशानी: उड़ानों के देर से चलने की सूचना के कारण यात्रियों को असुविधा होती है।
समाधान
रनवे की निरंतर मॉनिटरिंग और मौसम पूर्वानुमान को सटीक बनाना।
यात्रियों को समय-समय पर सूचना प्रदान करना।
एयरलाइंस के साथ मिलकर फ्लाइट शेड्यूल को प्रभावी बनाना।
यात्रियों के लिए सुझाव
कोहरे के मौसम में यात्रा को आसान बनाने के लिए:
दिन के समय उड़ान बुक करें, क्योंकि सुबह के मुकाबले दोपहर में कोहरा कम होता है।
एयरपोर्ट या एयरलाइंस के ऐप्स पर रीयल-टाइम अपडेट चेक करते रहें।
CAT III सक्षम एयरलाइंस को प्राथमिकता दें।
निष्कर्ष: तकनीक और हौसले की जीत
IGI एयरपोर्ट यह साबित करता है कि घने कोहरे जैसी चुनौती भी तकनीक, समर्पण, और अनुशासन के आगे बाधा नहीं बन सकती। अत्याधुनिक लैंडिंग सिस्टम, प्रशिक्षित पायलट, और कुशल प्रबंधन के कारण यह एयरपोर्ट दुनिया के सबसे सुरक्षित और कुशल हवाईअड्डों में से एक बना हुआ है।
तो अगली बार जब आप सर्दियों में IGI एयरपोर्ट से यात्रा करें और विमान को कोहरे को चीरते हुए उतरते या उड़ान भरते देखें, तो इस चमत्कार की तकनीकी और मानवीय पहलुओं को जरूर याद करें।
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