गाजियाबाद:- शहर के व्यस्त बाजारों में दुकानदारों द्वारा किया गया अतिक्रमण ट्रैफिक जाम का सबसे बड़ा कारण बन चुका है। लेकिन इस समस्या के लिए जिम्मेदार केवल दुकानदार ही नहीं, बल्कि प्रशासन, ग्राहक, राजनेता और व्यापारिक संगठन भी हैं। राइट गंज, चोपला बाजार, घंटाघर, पुरानी सब्जी मंडी, तुराब नगर,राइट गंज, रमाते राम रोड,आर डी सी और गांधी नगर जैसे प्रमुख बाजारों में हर दिन यही स्थिति देखने को मिलती है।
व्यापारी संगठनों की भूमिका गाजियाबाद के अधिकांश बाजारों में व्यापारी संगठनों का दबदबा है। ये संगठन अक्सर प्रशासनिक कार्यवाही का विरोध करते हैं और अतिक्रमण हटाओ अभियानों को विफल करने में अहम भूमिका निभाते हैं। उनका दावा होता है कि अतिक्रमण हटाने से व्यापार पर असर पड़ेगा।
ग्राहकों की लापरवाही इस समस्या को बढ़ाने में ग्राहकों का भी योगदान है। बाजार में खरीदारी करने आए लोग अपने वाहनों को सड़क के किनारे खड़ा कर देते हैं, जिससे ट्रैफिक जाम और बढ़ जाता है। पैदल चलने वालों को फुटपाथ की कमी और सड़क पर खड़ी गाड़ियों के कारण भारी परेशानी होती है।
प्रशासन और पुलिस की निष्क्रियता नगर निगम और पुलिस भी अतिक्रमण के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने से बचती है। पुलिस पर अक्सर यह आरोप लगता है कि वह व्यापारी संगठनों और राजनीतिक दबाव में काम करती है। कई बार अतिक्रमण हटाने का अभियान शुरू होता है, लेकिन इसे अधूरा छोड़ दिया जाता है।
राजनीतिक हस्तक्षेप राजनेता भी इस समस्या का स्थायी समाधान निकालने में रुचि नहीं दिखाते। वोट बैंक की राजनीति के कारण वे अतिक्रमण के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाते। कई बार देखा गया है कि राजनेताओं द्वारा अतिक्रमण करने वालों को परोक्ष समर्थन मिलता है, जिससे बाजारों की स्थिति और बिगड़ जाती है।
योजना के अभाव में बाजार शहर के बाजार किसी समुचित योजना के तहत विकसित नहीं हुए हैं। संकरी गलियों और अव्यवस्थित दुकानों के कारण ट्रैफिक प्रबंधन लगभग असंभव हो गया है।
मॉल और पारंपरिक बाजारों का अंतर हालांकि गाजियाबाद में कई बड़े मॉल खुल चुके हैं, लेकिन ये बाजारों का विकल्प नहीं बन सके हैं।
मॉल्स में ज्यादातर ब्रांडेड और फिक्स रेट वाला सामान मिलता है। माध्यम वर्गीय और निम्न आय वर्ग के लोगों के लिए पारंपरिक बाजारों में ही उनकी जरूरत का सामान मिलता है। यही कारण है कि शहर के बाजारों में भारी भीड़ और अराजकता बनी रहती है। क्या हम सभी जिम्मेदार हैं? इस समस्या के लिए केवल दुकानदार या प्रशासन को दोष देना पर्याप्त नहीं है।
ग्राहक अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाते और वाहनों को अव्यवस्थित तरीके से खड़ा करते हैं। व्यापारी संगठन सुधारात्मक कदम उठाने के बजाय विरोध करने में आगे रहते हैं। प्रशासन और पुलिस सख्त कार्यवाही से कतराते हैं। राजनेताओं की निष्क्रियता और स्वार्थपरक रवैया भी इस समस्या को बढ़ावा देता है। समाधान के सुझाव व्यापारी संगठनों की जिम्मेदारी तय हो: संगठनों को अतिक्रमण हटाने में सहयोग करना चाहिए।
ग्राहकों को जागरूक करना सड़क पर वाहन खड़ा करने पर सख्त पाबंदी लगाई जाए।
योजनाबद्ध बाजार शहर में नए बाजार विकसित किए जाएं, जहां बेहतर ट्रैफिक प्रबंधन हो।
प्रशासनिक कार्यवाही नगर निगम और पुलिस मिलकर नियमित रूप से अतिक्रमण हटाने का अभियान चलाएं।
राजनीतिक हस्तक्षेप खत्म हो राजनेताओं को वोट बैंक की राजनीति छोड़कर इस मुद्दे पर ठोस कदम उठाने चाहिए।
गाजियाबाद के बाजारों में अतिक्रमण और ट्रैफिक जाम की समस्या एक जटिल और सामूहिक जिम्मेदारी का मामला है। जब तक प्रशासन, व्यापारी, ग्राहक, और राजनेता मिलकर समाधान के लिए प्रयास नहीं करेंगे, तब तक इस समस्या का हल निकालना असंभव है। यह समय है कि हम सभी अपनी जिम्मेदारी समझें और गाजियाबाद को बेहतर और व्यवस्थित बनाने के लिए सार्थक कदम उठाएं।