साहिबाबाद:- लामोड़ क्षेत्र में भोपुरा की रहने वाली सपना गुप्ता एक बड़े जालसाजी के मामले का शिकार हो गईं। जालसाजों ने उन्हें प्रतिबंधित जमीन का प्लॉट दिखाकर 7.67 लाख रुपये ठग लिए। जिस प्लॉट की फर्जी रजिस्ट्री उनके नाम की गई, वह विधिक रूप से बिकाऊ नहीं था क्योंकि उसके नीचे गैस पाइपलाइन बिछी हुई है। जब सपना गुप्ता ने चहारदीवारी कराने का प्रयास किया, तब इस ठगी का खुलासा हुआ।
कैसे हुआ फर्जीवाड़ा? कोयल एंक्लेव स्थित पर्ल रेजिडेंसी में रहने वाली सपना गुप्ता ने बताया कि उन्होंने प्लॉट खरीदने की बात अपने भाई प्रताप सक्सेना को बताई। प्रताप ने उन्हें मोहनपुर निवासी जसवीर, इंद्रपाल, अटौर निवासी राजेंद्र पहलवान और शरीफाबाद निवासी हरित कसाना से मिलवाया। इन लोगों ने असालतपुर में एक प्लॉट दिखाया और उसे अपनी संपत्ति बताया। इसके बाद सपना गुप्ता और उनके भाई की मुलाकात शरीफाबाद निवासी सतपाल सिंह से कराई गई, जो कथित रूप से प्लॉट का मालिक था। 24 अगस्त 2024 को प्लॉट का सौदा 37.67 लाख रुपये में तय हुआ, जिसमें मौके पर ही 11.21 लाख रुपये दिए गए।
फर्जी रजिस्ट्री का खेल 28 अगस्त को सतपाल सिंह ने लोनी के सब-रजिस्ट्रार कार्यालय में सपना गुप्ता के नाम प्लॉट की फर्जी रजिस्ट्री कर दी। इस दौरान आरोपियों ने बकाया राशि में से 7.92 लाख रुपये नकद और 19.54 लाख रुपये का चेक लिया। जब सपना गुप्ता ने जमीन पर काम शुरू कराया, तो स्थानीय लोगों ने उन्हें रोकते हुए बताया कि यह जमीन गैस पाइपलाइन क्षेत्र में आती है और इसे बेचना गैरकानूनी है।
पुलिस ने की अनदेखी, कमिश्नर से मिली मदद ठगी का शिकार होने के बाद सपना गुप्ता ने टीलामोड़ थाने में शिकायत दर्ज कराई, लेकिन पुलिस ने मामला दर्ज करने से इनकार कर दिया। इसके बाद सपना गुप्ता ने गाजियाबाद कमिश्नर से न्याय की गुहार लगाई। कमिश्नर के आदेश पर पुलिस ने मामले की जांच शुरू की और जसवीर, इंद्रपाल, राजेंद्र पहलवान, हरित कसाना, सतपाल सिंह सहित छह लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज किया। जांच में यह भी सामने आया कि आरोपियों ने थाने में धोखाधड़ी की बात स्वीकार की थी।
जांच में जुटी पुलिस एसीपी साहिबाबाद रजनीश उपाध्याय ने बताया कि यह फर्जीवाड़ा किस तरह से दस्तावेज तैयार कर किया गया, इसकी गहन जांच की जा रही है। आरोपियों के द्वारा किस आधार पर फर्जी रजिस्ट्री की गई, इसका पता लगाया जा रहा है। जल्द ही मामले का खुलासा होगा।
जालसाजी के इस मामले ने उठाए कई सवाल इस घटना ने न केवल पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि जमीन खरीद-फरोख्त के दौरान दस्तावेजों की सत्यता की जांच की गंभीरता को भी उजागर किया है। क्या रजिस्ट्रार कार्यालय में पर्याप्त जांच के बिना ही रजिस्ट्री कर दी जाती है? कैसे जालसाजों ने प्रतिबंधित भूमि के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार किए?
सावधान रहें और सतर्क रहें यह घटना उन सभी लोगों के लिए चेतावनी है, जो जमीन खरीदने की योजना बना रहे हैं। भूमि खरीदने से पहले दस्तावेजों की अच्छी तरह जांच करें। ज़मीन के कानूनी स्थिति की पुष्टि के लिए सरकारी प्राधिकरण से संपर्क करें। गैस पाइपलाइन, सरकारी अधिग्रहण, और अन्य प्रतिबंधित क्षेत्रों की जानकारी प्राप्त करें। खरीद के दौरान वकील या विशेषज्ञ की सलाह लें।
भोपुरा का यह मामला एक गहरी साजिश का नतीजा है, जो न केवल पीड़िता के लिए आर्थिक नुकसान लेकर आया, बल्कि इसे क्षेत्र में सुरक्षा और कानूनी प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर दिए। पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए पुलिस को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए और इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त नियम लागू किए जाने चाहिए।
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