सुप्रीम कोर्ट बोला- ‘जय श्री राम’ नारा लगाना अपराध कैसे: कर्नाटक सरकार से पूछा सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार से मस्जिद में ‘जय श्रीराम’ के नारे लगाने से जुड़े मामले में जवाब तलब किया है। यह मामला उस आदेश से संबंधित है, जिसमें हाई कोर्ट ने इस घटना को अपराध मानने से इनकार करते हुए दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल कर्नाटक सरकार को इस मामले में नोटिस जारी करने से मना कर दिया है। मामले की अगली सुनवाई जनवरी में होगी।
यह घटना कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले की है, जहां दो लोगों ने एक मस्जिद में प्रवेश कर ‘जय श्रीराम’ के नारे लगाए थे। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि ‘जय श्रीराम’ का नारा लगाना धार्मिक भावनाओं को आहत करने का मामला नहीं है, विशेषकर जब शिकायतकर्ता खुद स्वीकार कर रहा है कि क्षेत्र में हिंदू-मुस्लिम सौहार्दपूर्ण माहौल है।
याचिकाकर्ता हैदर अली, जो दक्षिण कन्नड़ जिले के कडाबा तालुका के निवासी हैं, ने हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी है। उनकी ओर से वरिष्ठ वकील देवदत्त कामत ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि यह केवल नारे लगाने का मामला नहीं है, बल्कि दूसरे धर्म के धार्मिक स्थल में जबरन प्रवेश और धमकी देने का भी मामला है।
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस पंकज मिथल और संदीप मेहता की बेंच ने सुनवाई के दौरान पूछा, “यह अपराध कैसे हो सकता है?” इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि यदि धार्मिक स्थलों पर दूसरे समुदाय के नारे लगाने की अनुमति दी जाती है, तो इससे सांप्रदायिक तनाव भड़क सकता है। उन्होंने आगे कहा कि इस मामले में सीआरपीसी की धारा 482 का दुरुपयोग किया गया है, क्योंकि मामले की पूरी जांच से पहले ही एफआईआर रद्द कर दी गई।
मामले में कीर्तन कुमार और सचिन कुमार नामक दो व्यक्तियों पर आईपीसी की धारा 447 (अवैध प्रवेश), 295A (धार्मिक भावनाएं आहत करना), और 506 (धमकी देना) के तहत केस दर्ज किया गया था। हालांकि, हाई कोर्ट ने यह कहते हुए मामला खारिज कर दिया कि इसे अपराध नहीं माना जा सकता। अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर जनवरी में फैसला करेगा।
Exit mobile version