तबले की थाप से ‘वाह ताज’ तक: जाकिर हुसैन का सुनहरा सफर

संगीत की दुनिया के चमकते सितारे और भारत के सबसे प्रसिद्ध तबला वादकों में से एक, उस्ताद जाकिर हुसैन का निधन कला और संगीत प्रेमियों के लिए एक अपूरणीय क्षति है। 73 वर्ष की उम्र में इस महान कलाकार ने दुनिया को अलविदा कह दिया। उनकी असाधारण प्रतिभा और अनूठी शैली ने न केवल संगीत की दुनिया को समृद्ध किया, बल्कि भारतीय ब्रांडिंग और मार्केटिंग में भी नई ऊंचाइयां दीं।
‘वाह ताज’ की पहचान का श्रेय
तबले की थाप से घर-घर में चाय का नाम फैलाने वाले जाकिर हुसैन ने ताजमहल चाय को ‘वाह ताज’ का अनमोल नारा दिया। जब ब्रुक बॉन्ड ताजमहल चाय का विज्ञापन रिलीज हुआ, जिसमें जाकिर हुसैन अपने तबले पर जादू बिखेरते हुए ‘वाह ताज’ कहते हैं, तब इस ब्रांड को नई पहचान मिली। उनका यह विज्ञापन इतना प्रभावशाली था कि यह ब्रांड हर भारतीय की जुबां पर छा गया।
ताजमहल चाय, जो 1966 में कोलकाता से लॉन्च हुई थी, पहले से ही प्रीमियम ब्रांड था। लेकिन, जाकिर हुसैन की मौजूदगी ने इसे एक भावनात्मक और सांस्कृतिक पहचान दी। यह विज्ञापन आज भी भारतीय मार्केटिंग इतिहास के सबसे यादगार पलों में से एक है।
संगीत में अप्रतिम योगदान
9 मार्च 1951 को मुंबई के माहिम में जन्मे जाकिर हुसैन बचपन से ही संगीत के प्रति समर्पित थे। तबला वादन की कला उन्हें विरासत में मिली, क्योंकि वे मशहूर तबला वादक उस्ताद अल्लाह राखा के बेटे थे। उन्होंने महज तीन साल की उम्र में तबले की शिक्षा लेनी शुरू कर दी थी और 12 साल की उम्र में म्यूजिक शोज़ में प्रदर्शन करना शुरू कर दिया।
जाकिर हुसैन ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के सेंट माइकल स्कूल से प्राप्त की और सेंट जेवियर्स कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। इसके बाद उन्होंने वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी से संगीत में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की।
पुरस्कार और सम्मान
उस्ताद जाकिर हुसैन को भारत सरकार द्वारा 1988 में पद्म श्री, 2002 में पद्म भूषण, और 2023 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी धाक जमाई और पांच ग्रैमी अवॉर्ड समेत कई प्रतिष्ठित सम्मान हासिल किए।
उनकी प्रतिभा के चलते अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने उन्हें व्हाइट हाउस में आयोजित ऑल-स्टार ग्लोबल कॉन्सर्ट में आमंत्रित किया।
फिल्म और अन्य योगदान
संगीत के अलावा, जाकिर हुसैन ने करीब 12 फिल्मों में भी काम किया। उनकी बहुमुखी प्रतिभा ने भारतीय संगीत और सिनेमा को एक नया आयाम दिया।
निधन से कला जगत में शोक
उनके निधन की खबर से देशभर में शोक की लहर दौड़ गई। संगीत जगत के दिग्गजों और उनके अनगिनत प्रशंसकों ने सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से उन्हें श्रद्धांजलि दी।
उस्ताद जाकिर हुसैन का जीवन कला, संगीत और संस्कृति के प्रति समर्पण की एक मिसाल है। उनकी तबले की थाप, ‘वाह ताज’ का संदेश और उनके अनगिनत योगदान हमेशा के लिए हमारी स्मृतियों में जीवित रहेंगे। उनके जाने से एक युग का अंत हुआ है, लेकिन उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।
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