उत्तर प्रदेश या भारत के किसी भी राज्य में यदि किसी पैदल यात्री के साथ वाहन से दुर्घटना हो जाती है और उसे चोट लगती है, तो कानूनी प्रक्रिया और वाहन चालक को ध्यान में रखने वाले बिंदु इस प्रकार हैं:
कानूनी प्रक्रिया: एफआईआर दर्ज करना यदि किसी पैदल यात्री को चोट लगती है, तो पीड़ित पक्ष पुलिस में शिकायत (एफआईआर) दर्ज करा सकता है। इसमें आम तौर पर वाहन चालक के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) और मोटर वाहन अधिनियम के तहत धाराएं लगाई जा सकती हैं, जैसे:
IPC धारा 279: लापरवाही से वाहन चलाने पर। IPC धारा 337: दूसरों को चोट पहुंचाने पर। IPC धारा 338: गंभीर चोट पहुंचाने पर। IPC धारा 304A: यदि चोट से मृत्यु होती है। मेडिकल जांच: घायल व्यक्ति को तुरंत चिकित्सा सुविधा देना आवश्यक है। डॉक्टर द्वारा जारी मेडिकल रिपोर्ट पुलिस जांच में उपयोग होती है।
इंश्योरेंस क्लेम यदि वाहन बीमित है, तो पीड़ित पक्ष मुआवजे के लिए इंश्योरेंस क्लेम कर सकता है।
कोर्ट केस मामला अदालत में जाता है, जहां यह तय किया जाता है कि दुर्घटना चालक की गलती से हुई थी या नहीं।
मुआवजा मोटर वाहन दुर्घटना दावा अधिकरण (Motor Accident Claims Tribunal) के तहत मुआवजे की प्रक्रिया होती है।
वाहन चालक को ध्यान रखना चाहिए दुर्घटना के बाद जिम्मेदारी निभाएं:
तुरंत रुकें और घायल व्यक्ति की मदद करें। पीड़ित को अस्पताल पहुंचाएं और उसकी चिकित्सा सुनिश्चित करें। पुलिस को घटना की सूचना दें। लाइसेंस और वाहन दस्तावेज:
ड्राइविंग लाइसेंस, वाहन का बीमा, पंजीकरण और प्रदूषण प्रमाणपत्र हमेशा साथ रखें। सभी दस्तावेज वैध और अद्यतन होने चाहिए। लापरवाही न करें:
गति सीमा का पालन करें। वाहन चलाते समय मोबाइल फोन का उपयोग न करें। शराब या नशीले पदार्थों के प्रभाव में वाहन न चलाएं। सीसीटीवी/डैशकैम:
वाहन में डैशकैम रखना उपयोगी हो सकता है, जिससे घटना के वास्तविक हालात रिकॉर्ड हो सकें। कानूनी सहायता लें:
किसी वकील से सलाह लें और अपनी कानूनी स्थिति को स्पष्ट करें।
कानून के तहत, दुर्घटना के बाद पीड़ित की मदद करना वाहन चालक की नैतिक और कानूनी जिम्मेदारी है। यदि चालक मौके से भाग जाता है, तो उसके खिलाफ कठोर धाराएं लग सकती हैं। दुर्घटना से बचने के लिए हमेशा सतर्कता और यातायात नियमों का पालन करें।