गाजियाबाद में किसानों का प्रदर्शन: नोएडा के आंदोलन का असर, सरकार से आर-पार की चेतावनी

गाजियाबाद:- डासना इलाके में किसानों ने अपनी मांगों के समर्थन में सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया। वेव सिटी क्षेत्र के एनएच-9 सर्विस रोड पर किसानों ने महरौली अंडरपास के पास जाम लगाने की कोशिश की। यह प्रदर्शन नोएडा में किसानों की गिरफ्तारी और उनकी मांगों की अनदेखी के विरोध में किया गया।
प्रदर्शन की वजह: अनसुनी मांगों का गुस्सा
भारतीय किसान सेना के अध्यक्ष अवनीत पंवार के नेतृत्व में सैकड़ों किसान सड़क पर बैठ गए। उनका कहना था कि सरकार उनकी मांगों को लगातार नजरअंदाज कर रही है। किसानों ने स्पष्ट चेतावनी दी कि अगर उनकी समस्याओं का समाधान जल्द नहीं हुआ, तो वे आर-पार की लड़ाई लड़ने के लिए मजबूर होंगे।
नोएडा आंदोलन से गाजियाबाद तक पहुंचा विरोध
गाजियाबाद में यह प्रदर्शन नोएडा के आंदोलन की कड़ी के रूप में देखा जा रहा है, जहां किसानों की गिरफ्तारी के बाद गुस्सा और बढ़ गया है। किसानों का आरोप है कि प्रशासन उनकी समस्याओं को सुनने के बजाय उनकी आवाज दबाने की कोशिश कर रहा है।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई
जैसे ही किसानों ने एनएच-9 पर जाम लगाया, पुलिस ने तुरंत मौके पर पहुंचकर उन्हें सड़क से हटाया और वेव सिटी थाने ले गई। एसीपी लिपि नगायच ने बताया कि किसानों ने मार्ग अवरुद्ध करने की कोशिश की थी, लेकिन पुलिस ने स्थिति को संभालते हुए उन्हें थाने ले जाकर शांतिपूर्वक बातचीत की। पुलिस का दावा है कि किसानों की समस्याओं को हल करने का प्रयास किया जा रहा है।
भारतीय किसान सेना की चेतावनी
भारतीय किसान सेना के अध्यक्ष अवनीत पंवार ने सरकार को स्पष्ट चेतावनी दी है कि जब तक किसानों की मांगें पूरी नहीं होंगी, तब तक वे विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि यह केवल शुरुआत है, और अगर समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो आंदोलन का स्वरूप और बड़ा होगा।
किसानों की प्रमुख मांगें
किसानों का कहना है कि उनकी ज़मीनों का उचित मुआवजा, सिंचाई की सुविधाएं, और कृषि उपज के उचित दाम जैसी समस्याओं को लंबे समय से नजरअंदाज किया जा रहा है। उनका आरोप है कि सरकार केवल वादे करती है, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं होती।
प्रदर्शन का प्रभाव और प्रशासन की भूमिका
गाजियाबाद और आसपास के क्षेत्रों में किसानों के इस विरोध प्रदर्शन ने सरकार और प्रशासन के लिए एक नई चुनौती खड़ी कर दी है। यह घटना बताती है कि किसानों के मुद्दे अब केवल क्षेत्रीय नहीं रहे, बल्कि व्यापक राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन रहे हैं।
क्या होना चाहिए समाधान?
किसानों का कहना है कि बातचीत और वार्ता से अब उनकी समस्याओं का समाधान नहीं होगा। वे ठोस कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। सरकार को चाहिए कि वह उनके मुद्दों को गंभीरता से ले और उनके समाधान के लिए ठोस कदम उठाए।
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