जमानत के बाद भी इनाम का ऐलान: कानून में खामियां या पुलिस की लापरवाही?

गाजियाबाद:- मोबाइल टावर से पार्ट्स चोरी के आरोपी जावेद मीरापुरिया पर एक लाख रुपये का इनाम घोषित करने के मामले में अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने पुलिस आयुक्त से स्पष्टीकरण मांगा है। अदालत ने इस संबंध में सुनवाई के लिए 24 अक्टूबर की तारीख निर्धारित की है।
बचाव पक्ष का आरोप है कि जिस मामले में जावेद पर इनाम घोषित किया गया, उसमें वह पहले ही हाईकोर्ट से जमानत प्राप्त कर चुका है। जावेद के अधिवक्ता ने अदालत में बताया कि तीन मई 2024 को पुलिस ने एक गिरोह के नौ सदस्यों को गिरफ्तार किया था, जिसमें जावेद का नाम भी शामिल था। पुलिस ने जावेद को फरार बताते हुए पहले 25 हजार, फिर 50 हजार और अंततः एक लाख रुपये का इनाम घोषित किया था।
जावेद ने छह सितंबर को हाईकोर्ट से जमानत हासिल की और इसके बाद 18 सितंबर को नंदग्राम थाने में जमानत का आदेश भी भेजा। जमानत मिलने के बाद इनाम की राशि का कोई औचित्य नहीं रह गया था। फिर भी, तीन अक्टूबर को पुलिस आयुक्त ने जावेद को एक लाख का इनामी घोषित किया।
इस मामले में गलती तब उजागर हुई जब दिल्ली पुलिस ने जावेद को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया। जमानत के बाद से उसे फिर से एक नए मामले में जेल भेजा गया। अब अदालत ने इस पूरे मामले की जांच के लिए पुलिस आयुक्त से जवाब मांगा है।
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