भाजपा की परीक्षा: बसपा से बढ़ती टेंशन, चुनावी रणभूमि में क्या होगा

गाजियाबाद विधानसभा सीट पर 2024 के उपचुनाव की तैयारियां तेज़ हैं, और यह सीट भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण गढ़ बन चुकी है। 1976 में गाजियाबाद जिला बनने के बाद से भाजपा ने इस सीट पर छह बार जीत हासिल की है, जिसमें एक बार जीत की हैट्रिक भी शामिल है। हालाँकि, भाजपा को 2002 और 2004 के चुनावों में करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था, लेकिन 2007 में फिर से जीत की राह पर लौट आई।
2017 और 2022 में शानदार वापसी के बाद, भाजपा इस बार एक और हैट्रिक लगाने की चुनौती का सामना कर रही है। जबकि 2004 में हुए उपचुनाव में सपा ने विजय हासिल की थी, वर्तमान परिस्थितियाँ अलग हैं। इस बार कांग्रेस और सपा का गठबंधन भाजपा के लिए एक नई चुनौती पेश कर सकता है।
इसके अलावा, बसपा के कैडर वोटर्स की संख्या भी निर्णायक हो सकती है, जिससे मुकाबला त्रिकोणीय होने की संभावना है। सभी दलों ने अभी तक अपने प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है, और वे भाजपा के उम्मीदवार का इंतज़ार कर रहे हैं ताकि जातीय समीकरण के आधार पर अपने प्रत्याशी उतार सकें।
गाजियाबाद की राजनीति में हलचल तेज है, और सभी की नजरें इस महत्वपूर्ण उपचुनाव पर हैं। क्या भाजपा एक बार फिर अपनी जीत की गाथा लिख पाएगी, या विपक्षी दलों की रणनीतियाँ उन्हें चुनौती देंगी? वक्त बताएगा।
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