आंध्र प्रदेश में मिसाइल परीक्षण की नई ऊँचाई: DRDO का बड़ा कदम, सुरक्षा का नया अध्याय

भारतीय रक्षा क्षेत्र में हाल ही में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है, जिसमें आंध्र प्रदेश के नागायालंका में एक नई मिसाइल टेस्टिंग रेंज की स्थापना को मंजूरी दी गई है। यह निर्णय कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस) की एक महत्वपूर्ण बैठक के दौरान लिया गया, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित हुई।
नई टेस्टिंग रेंज में सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, एंटी टैंक मिसाइलें और रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के सामरिक मिसाइल सिस्टम का परीक्षण किया जाएगा। यह रेंज भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना की क्षमताओं को और मजबूत करने में सहायक साबित होगी।
सरकार के सूत्रों के अनुसार, इस प्रोजेक्ट के लिए आवश्यक प्रक्रियाओं को 28 जून, 2018 को पहले ही मंजूरी दी गई थी। यह नई रेंज मौजूदा मिसाइल परीक्षण स्थलों, जैसे कि अब्दुल कलाम द्वीप और ओडिशा के चांदीपुर, के साथ मिलकर भारत की मिसाइल परीक्षण क्षमता को और विस्तारित करेगी।
डीआरडीओ के बड़े पैमाने पर विकासशील कार्यक्रम के तहत, नई पीढ़ी की मिसाइलों के परीक्षण की तैयारी की जा रही है। हाल की भू-राजनीतिक स्थितियों के चलते, इन परीक्षणों की आवश्यकता और भी बढ़ गई है। भारत के पास पहले से ही 40 से अधिक प्रकार की मिसाइलें हैं, जिनमें ब्रह्मोस, पृथ्वी-2, अग्नि-1, अग्नि-2, अग्नि-3, धनुष और प्रहार शामिल हैं, और सभी मिसाइलें परमाणु क्षमता से लैस हैं।
यह नई मिसाइल टेस्टिंग रेंज भारतीय रक्षा क्षमता को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो न केवल मौजूदा तकनीकों का परीक्षण करेगी बल्कि नई प्रौद्योगिकियों की भी नींव रखेगी। यह कदम भारत की सुरक्षा रणनीति को और सशक्त बनाने में अहम भूमिका निभाएगा।
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