बेरूत:- 27 सितंबर को इजरायल ने हिजबुल्लाह के प्रमुख सैयद हसन नसरल्लाह को एक अभूतपूर्व हवाई हमले में मार गिराया, जिसने मध्य पूर्व के राजनीतिक परिदृश्य में उथल-पुथल मचा दी। यह हमला बेरूत के दहिया क्षेत्र में स्थित हिजबुल्लाह के मुख्यालय पर हुआ, जहां नसरल्लाह एक महत्वपूर्ण बैठक में थे।
हालांकि, यह हत्या केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं थी; इसके पीछे एक गहरी रणनीति थी। रिपोर्टों के अनुसार, ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने नसरल्लाह को कुछ दिन पहले लेबनान छोड़ने की सलाह दी थी। खामनेई को पता चला था कि हिजबुल्लाह के अंदर इजरायली एजेंट सक्रिय हैं, जो नसरल्लाह को निशाना बनाने की योजना बना रहे थे।
खामनेई का संदेश ले जाने वाला दूत, अब्बास निलफोरुशन, ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कोर का एक वरिष्ठ कमांडर था। जब यह दूत नसरल्लाह से मिलने आया, तब मोसाद को इसकी सूचना मिली।
इजरायली खुफिया एजेंसी ने स्थिति का सही आंकलन करते हुए इजरायली एयरफोर्स को तुरंत अलर्ट किया। इसके बाद, लगभग 80 टन बारूद के साथ हिजबुल्लाह के मुख्यालय पर हमला किया गया, जिसमें नसरल्लाह और निलफोरुशन दोनों मारे गए।
यह घटना केवल एक सैन्य रणनीति नहीं, बल्कि राजनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। नसरल्लाह की हत्या से हिजबुल्लाह की स्थिति कमजोर होगी और क्षेत्र में ईरान के प्रभाव पर भी इसका गहरा असर पड़ सकता है। इस हमले ने न केवल हिजबुल्लाह के नेतृत्व को झकझोर दिया, बल्कि ईरान और इजरायल के बीच के तनाव को और बढ़ा दिया है।