यूपीपीसीबी की एनओसी का अल्टीमेटम: 3 महीने में कार्रवाई नहीं, बंद होंगे शहर के 25 रेस्टोरेंट

गाजियाबाद:- पर्यावरण की सुरक्षा के लिए गाजियाबाद में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) ने सभी होटल, मॉल, बैंक्वेट हॉल और 36 से अधिक सीटों वाले रेस्टोरेंटों को तीन महीने का समय दिया है। यदि इन संस्थानों ने निर्धारित समय में यूपीपीसीबी से एनओसी (नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट) नहीं ली, तो उन्हें बंद कर दिया जाएगा।
इस आदेश की शुरुआत वर्ष 2021 में पर्यावरणविद प्रसून पंत और प्रदीप दहलिया द्वारा दायर की गई याचिका से हुई थी। याचिका में यह आरोप लगाया गया था कि कई प्रमुख होटल और रेस्टोरेंट पर्यावरण मानकों का पालन नहीं कर रहे हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने यूपीपीसीबी को 31 दिसंबर तक इन नियमों का पालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है और 15 जनवरी तक पूरी स्थिति पर रिपोर्ट सौंपने को कहा है।
यूपीपीसीबी की रिपोर्ट के अनुसार, अब तक 15 संस्थानों को बंद करने के आदेश दिए गए हैं और 25 को नोटिस जारी किए गए हैं। इनमें बड़े मॉल और रेस्टोरेंट भी शामिल हैं। गाजियाबाद के प्रमुख क्षेत्रों जैसे आदित्य मॉल (न्याय खंड 2), गरम-धरम (अर्थला), ग्रैंड तुषार होटल (जीटी रोड), होटल हवेली पैलेस (वसुंधरा), और द वॉक रेस्टोरेंट (आरडीसी राजनगर) को नोटिस जारी किए गए हैं।
विशेष रूप से ट्रांस हिंडन क्षेत्र, जिसमें सिकंदरपुर गांव भी शामिल है, में सबसे अधिक नोटिस जारी किए गए हैं। यहां के बैंक्वेट हॉल प्रदूषण मानकों का पालन नहीं कर रहे थे और एनओसी के बिना चल रहे थे। यूपीपीसीबी ने इन संस्थानों को तीन महीने का समय दिया है ताकि वे प्रदूषण मानकों को पूरा कर सकें और एनओसी प्राप्त कर सकें।
यूपीपीसीबी के क्षेत्रीय प्रबंधक, विकास मिश्रा ने बताया कि नोटिस जारी किए जा चुके हैं और कुछ संस्थानों ने जवाब भी दिया है, जबकि कुछ अभी भी उत्तर का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यदि निर्धारित समय में एनओसी प्राप्त नहीं की जाती, तो संबंधित संस्थानों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, जिसमें मुआवजा वसूली भी शामिल हो सकती है।
यह कदम गाजियाबाद में पर्यावरणीय सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है, और सभी संबंधित प्रतिष्ठानों को यूपीपीसीबी के मानकों का पालन करने की सलाह दी गई है। इस सख्त कार्रवाई के माध्यम से गाजियाबाद को एक स्वच्छ और हरित शहर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है।
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