हाइकोर्ट: अंतर्निहित शक्तियों से आपराधिक कार्यवाही हो सकती है रद्द
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत अर्जी खारिज होने के बावजूद भी राहत देने का बड़ा आदेश दिया है। न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति मोहम्मद अजहर हुसैन इदरीसी की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 482 के तहत उच्च न्यायालय याचिकाकर्ता को राहत प्रदान कर सकता है, भले ही अग्रिम जमानत खारिज हो चुकी हो।
इलाहाबाद हाईकोर्ट:- हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया कि अग्रिम जमानत अर्जी खारिज होने के बावजूद न्यायालय अपनी अंतर्निहित शक्तियों का उपयोग कर याचिकाकर्ता को राहत दे सकता है। कोर्ट ने कहा कि उच्च न्यायालय के पास अपराधिक कार्यवाही को रद्द करने का अधिकार भी है, यदि उसे यह उचित और आवश्यक प्रतीत होता है।
न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति मोहम्मद अजहर हुसैन इदरीसी की खंडपीठ ने कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 482 के तहत कोर्ट को मुकदमे की कार्यवाही रद्द करने या अन्य राहत प्रदान करने का अधिकार है। इस फैसले में विशेष रूप से उल्लेख किया गया है कि धारा 482 की सीमाओं के भीतर, हाईकोर्ट याचिकाकर्ता को सरेंडर करने या नियमित जमानत अर्जी दाखिल करने से छूट दे सकता है। यह निर्णय गाजियाबाद के रामनिवास बंसल के मामले में सुनाया गया, और इससे स्पष्ट हो गया कि अदालतें अपनी विवेकाधीन शक्तियों का उपयोग कर सकती हैं।
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