नई दिल्ली:- केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने आज लोकसभा में वक्फ कानून में संशोधन के लिए बिल पेश किया। रिजिजू ने बिल को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेजने का भी सुझाव दिया। इस बिल का कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा), राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (NCP), अल्ल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM), तृणमूल कांग्रेस (TMC), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) (CPI (M)), इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML), ड्राविडियन मुन्नेत्र काज़ागम (DMK), राष्ट्रीय स्पोर्टिव पार्टी (रास्पी) ने विरोध किया।
कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल राव ने कहा, “सरकार समुदायों के बीच विवाद उत्पन्न करना चाहती है।” AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस बिल को लेकर कहा कि “आप देश को जोड़ने की कोशिश नहीं, बल्कि बांटने की कोशिश कर रहे हैं। यह विधेयक यह साबित करता है कि आप मुस्लिमों के दुश्मन हैं।”
किरेज रिजिजू ने कहा, “वक्फ एक्ट में पहले भी संशोधन हो चुके हैं। हम सच्चर कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर बदलाव कर रहे हैं। इस कमेटी को आपने ही बनाया था।”
वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन बिल पास होने के बाद वक्फ बोर्ड किसी भी संपत्ति को अपना नहीं बता सकेगा। अब वक्फ को पहले उसकी जमीनों का वेरिफिकेशन करना होगा, फिर उसे अपनी संपत्ति घोषित करने की अनुमति मिलेगी। इससे बोर्ड की मनमानी पर रोक लगेगी।
बोर्ड के पुनर्गठन से बोर्ड में सभी समूहों समेत महिलाओं की भागीदारी भी बढ़ेगी। मुस्लिम बुद्धिजीवी, महिलाएं और शिया और बोहरा जैसे समूह लंबे समय से मौजूदा कानूनों में बदलाव की मांग कर रहे हैं।
कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने कहा, “हम हिंदू हैं लेकिन साथ ही हम दूसरे धर्मों की आस्था का भी सम्मान करते हैं। यह बिल महाराष्ट्र, हरियाणा चुनावों के लिए खास है। आप यह नहीं समझते कि पिछली बार भारत की जनता ने आपको साफ तौर पर सबक सिखाया था। यह संघीय व्यवस्था पर हमला है।”
AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, “वक्फ प्रॉपर्टी पब्लिक प्रॉपर्टी नहीं है। वक्फ प्रॉपर्टी का मतलब मस्जिद और दरगाह की जगह है। सरकार कह रही है कि हम महिलाओं को मैंबर बनाएंगे। क्या वे बिलकिस बानो को मैंबर बनाएंगे। यह सरकार मुसलमानों की दुश्मन है।”
DMK सांसद कनिमोझी ने कहा, “यह आर्टिकल 30 का सीधा उल्लंघन है जो अल्पसंख्यकों को अपने संस्थानों का प्रशासन करने से संबंधित है। यह विधेयक एक विशेष धार्मिक समूह को टारगेट कर रहा है।”
NCP (SP) सांसद सुप्रिया सुले ने कहा, “इस बिल को या तो वापस ले लें या इसे स्टैंडिंग कमेटी के पास भेज दें। किसी से सलाह लिए बिना एजेंडा आगे न बढ़ाएं। बिल का ड्राफ्ट सांसदों के पास पहुंचने के पहले मीडिया में पहुंचा।”
कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा, “वक्फ बोर्ड मस्जिदों को प्रबंधन करता है। आप वक्फ की ताकत खत्म करके डीएम राज लाना चाहते हैं। वक्फ की प्रॉपर्टी को कब्जा मुक्त कराकर यह बिल लाना चाहिए था।”
सपा सांसद अखिलेश यादव ने कहा, “यह बिल सोची समझी राजनीति के तहत पेश हो रहा है। वक्फ में गैर मुस्लिम को शामिल करने का औचित्य नहीं है। अगर आप जिलाधिकारी को ताकत दे देंगे तो गड़बड़ी होगी। भाजपा हताश, निराश और चंद कट्टर समर्थकों के तुष्टीकरण के लिए यह बिल ला रही है।”
TMC सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा, “इस बिल के माध्यम से सरकार सिविल कोर्ट के अधिकारों का हनन करना चाहती है। कौन सी प्रॉपर्टी किसकी है, यह तय करना कोर्ट का काम है। इस बिल के माध्यम से सरकार हिंदू राष्ट्र की ओर बढ़ना चाह रही है।”
वक्फ संशोधन बिल के समर्थन में:
जेडीयू सांसद और केंद्रीय पंचायती राज मंत्री ललन सिंह ने कहा, “इस बिल को मुसलमान विरोधी बताने की कोशिश की जा रही है। यह बिल मुस्लिम विरोधी नहीं है। यह बिल मस्जिदों पर लागू करने के लिए नहीं है। एक निरंकुश संस्था को कानून में बांधने के लिए लाया जा रहा है।”
भाजपा सांसद हेमा मालिनी ने कहा, “विपक्ष हमेशा विरोध करता है, यही उनका काम है। वे अच्छी चीजों को भी बुरा बताते हैं। पीएम कई अच्छी योजनाएं लाए हैं लेकिन वे कहते हैं कि ये सभी चीजें गलत हैं।”
तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के सांसद जीएम हरिश बालयोगी ने कहा- यह बिल मुस्लिमों और महिलाओं के हित में है। इसे वक्फ बोर्ड में पारदर्शिता के लिए लाया गया है।
शिवसेना (शिंदे गुट) के सांसद श्रीकांत शिंदे ने कहा, देश में एक ही कानून चलेगा। आपको अलग कानून की जरूरत क्यों है। ये संविधान के नाम पूरे देश में भ्रम फैला रहे हैं। इस बिल में महिला की भागीदारी भी होगी।