झांसी। उत्तर प्रदेश के झांसी में सड़क हादसे में दूल्हा समेत चार लोगों की मौत के बाद दुल्हन की शादी दूसरे युवक के साथ कर दी गई। क्योंकि, गांव में मान्यता है कि तेल और हल्दी चढ़ी लड़की को घर में नहीं बैठाया जा सकता। इसलिए परिवार को मजबूरी में एक दिन के अंदर लड़का ढूंढ़कर बेटी को विदा करना पड़ा। इस शादी में न बैंड बजा और न ही ढोल-नगाड़े। लड़का और उसके कुछ रिश्तेदार रात को बारात लेकर पहुंचे और बिना शोर शराबे के साधारण तरीके से विवाह संपन्न हो गया।
बड़ागांव थाना क्षेत्र के छपरा गांव निवासी अंजू की शादी पहले एरच थाना क्षेत्र के बिलाटी गांव के आकाश से तय हुई थी। शुक्रवार रात को बारात आ रही थी। दूल्हा दुल्हन के घर से लगभग 9 किलोमीटर दूर था। तभी एक ट्रक ने पीछे से उसकी कार को टक्कर मार दी। इसके बाद दोनों वाहनों में आग लग गई। इसमें दूल्हा आकाश, उसका भाई आशीष, भतीजा मयंक और ड्राइवर भगत की जिंदा जलकर मौत हो गई थी। अंजू का कन्यादान लेने वाले मौसा मुकेश अहिरवार और मां रानी बताते हैं कि “ये हादसा जिंदगी भर का दर्द दे गया। हमें उस परिवार का भी दुख है, जिनके 4 लोग खत्म हो गए। हम मानवता के नाते उनके घर भी जाएंगे। लेकिन हमारे घर में लड़की हल्दी और तेज चढ़ी बैठी थी। गांव की परम्परा है कि तेल चढ़ने के बाद लड़की किसी के घर नहीं जा सकती। इसलिए मजबूरी में हमें दूसरा लड़का ढूंढना पड़ा। हमने 5 से ज्यादा लड़के देखे। फाइनली हमें उल्दन थाना क्षेत्र के रजपुरा निवासी देवेंद्र उर्फ गोलू पसंद आया और हम शादी कर रहे हैं। देवेंद्र अपने माता-पिता का इकलौता बेटा है। उसकी बड़ी बहन की शादी हो चुकी है, जबकि एक छोटी बहन अविवाहित है। जब बारात आई तो पहले टीका किया गया। घर के बाहर महिलाएं कलश लेकर खड़ी हो गई और मंगल गीत गाए जाने लगे। इसके बाद बाकी की रश्में भी साधारण तरीके से संपन्न हुई। जब दुल्हन जयमाला के लिए जाने लगी तो बधू पक्ष के लोगों ने अपने हाथ जमीन पर रख लिए। तब दुल्हन हाथों पर चलते हुए स्टेज तक पहुंची। इसके बाद जयमाला हुई। गोलू के चाचा जयपाल बताते हैं कि “मेरा DJ और टेंट का काम है। पास के पचवारा गांव में एक शादी समारोह में टेंट लगा था। शनिवार शाम को एक जानने वाले मिले और पूछने लगे कि तुम्हारे समाज में अच्छा लड़का बताओ, तत्काल शादी करनी है। पूछने पर हादसे के बारे में बताया। मैंने अपने भतीजे गोलू के बारे में बताया। तब लड़के के रिश्तेदार रविवार सुबह घर देखने आए।
20-25 लोग बारात में पहुंचे
बुंदेलखंड में रीत है कि गांव में बारात आने का पता गोला-बारूद से चलता है। जैसे ही बारात पहुंचती है तो गोला बारूद चलने लगते हैं और गांव के लोग समझ जाते हैं कि बारात आ गई। लेकिन इस बारात में एकदम सन्नाटा था। दूल्हे के साथ 20 से 25 लोग पहुंचे। न डीजे बजा और न ही बैंड बाजा। साधारण तरीके से सभी रस्में पूरी हुई और लड़की को विदा कर दिया गया।