कुनबे के लोगों के मुताबिक इन लोगों को जीण माता मंदिर से रानी सती मंदिर (झुंझुनूं) जाना था। इसके लिए फतेहपुर जाने की जरूरत नहीं थी। वहां से सीकर होते हुए झुंझुनूं का सीधा रास्ता है। मेरठ से निकलते समय इनका अपने गांव भातवाड़ी जाने का भी कोई प्रोग्राम नहीं था। शायद अचानक गांव जाने का कार्यक्रम बना होगा। अगर गांव जाना था तो इन्हें खंडेला होते हुए रास्ता लेना था। इसके चलते ये रास्ता भटक गए और फतेहपुर पहुंच गए। परिवार के सदस्यों को यह भी नहीं मालूम कि ये गांव या सालासर गए या नहीं। परिवार के शुभम बिंदल ने बताया ये मेरठ से शनिवार सुबह 11 बजे कार से निकले थे। कार मौसेरे भाई आशुतोष गोयल की थी। रात को जीण माता में ही रुके और रविवार सुबह दर्शन किए। इसके बाद सालासर (चूरू) के पास मालासी भैरू के दर्शन किए। वहां से रानी सती मंदिर जाने के लिए निकले थे।
हार्दिक के परिवार में कोई नहीं बचा
हार्दिक और आशुतोष ने साझेदारी में मेरठ में कपड़ों की दुकान कर रखी थी। हार्दिक का पूरा परिवार इस एक्सीडेंट में खत्म हो गया। आशुतोष के परिवार में अब उनके पिता मुकेश गोयल, पत्नी और तीन साल का बेटा बचा है। आशुतोष की पांच साल पहले शादी हुई थी। आशुतोष की एक बहन है, जिसकी शादी हो चुकी है।