अयोध्या। प्रभु श्रीराम के मंदिर में सोने की रामचरितमानस के दर्शन होंगे। गर्भगृह में इस रामचरित मानस को स्थापित किया गया है। रामचरितमानस को रामलला की मूर्ति से 15 फीट दूरी पर एक पत्थर के आसन पर रखा गया है। रामचरितमानस को मध्य प्रदेश कैडर के पूर्व IAS लक्ष्मी नारायण और उनकी पत्नी ने राम मंदिर ट्रस्ट को भेंट किया है।
रामचरितमानस 1000 पेज की है। वजन-155 किलोग्राम है। इसमें किलो सोने और 151 किलोग्राम तांबे का इस्तेमाल किया गया है। हर पेज पर 24 कैरेट सोने की परत चढ़ाई गई है। साथ ही हर पेज पर 3 किलोग्राम तांबा भी लगा है। वुम्मिदी बंगारू ज्वैलर्स ने रामचरितमानस को 3 महीने में तैयार किया है। इसे बनाने में करीब 5 करोड़ रुपए खर्च आया है। इसी कंपनी ने नए संसद भवन में स्थापित सेंगोल (राजदंड) को तैयार किया है। रामलला के पुजारी संतोष कुमार तिवारी ने बताया कि रामचरितमानस को राम नवमी पर मंदिर ट्रस्ट को सौंपा गया।
जीवन हो गया धन्य
केंद्र में गृह सचिव रहे एस. लक्ष्मी नारायण ने बताया कि मैं दाल-रोटी खाने वाला इंसान हूं। पेंशन ही खर्च नहीं होती है। ईश्वर ने जो उन्हें दिया, उसी को उन्हें वापस किया है। प्रभु के चरणों में उनकी पुस्तक अर्पित कर मेरा जीवन सफल हो गया।
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