गाजियाबाद: फर्जी शस्त्र लाइसेंस बनाने वाला सेवानिवृत्त नायब सूबेदार गिरफ्तार

गाजियाबाद। जिले की क्राइम ब्रांच ने धोखाधडी कर जम्मू-कश्मीर राज्य से फर्जी तरीके से शस्त्र लाइसेंस बनाने वाले गिरोह का पर्दाफाश करते हुए सेना के सेवानिवृत्त नायब सूबेदार को थाना मधुबन बापूधाम क्षेत्र केन्द्रीय विद्यालय के पास से गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार अपराधी के पास से पुलिस ने फैक्ट्री मेड आठ अवैध शस्त्र बरामद किए हैं। क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने बताया कि गिरफ्तार अपराधी के पास से फैक्ट्री मेड 04 पिस्टल 32 बोर मय मैगजीन, 01 रिवाल्वर 32 बोर, 02 रायफल 315 बोर मय मैगजीन, 01 डबल बैरल बन्दूक 12 बोर, फर्जी शस्त्र लाइसेंस व फर्जी शस्त्र लाइसेंस तैयार करने की सामग्री, रबर स्टॉम्प आदि बरामद हुई है।

पुलिस की पूछताछ में गिरफ्तार अभियुक्त ने अपना नाम प्रमेन्द्र कुमार तेवतिया निवासी गांव गन्नौरा शेख थाना कोतवाली नगर बुलन्दशहर जिला बुलन्दशहर, वर्तमान निवासी अजय का मकान निकट जाट चौक ग्राम चिपियाना बुजुर्ग थाना बिसरख नोएडा बताया है। प्रमेन्द्र ने बताया कि वह बीए पास है और आर्मी में सेना पुलिस में नायब सूबेदार पद से सेवानिवृत्त है। आर्मी में नौकरी के दौरान साल 2012-2013 में जब उसकी पोस्टिंग मॉल कैम्प हिमाचल प्रदेश में थी। उसी दौरान वहाँ पर आर्मी वालों का शस्त्र लाइसेंस बनवाने के लिए जम्मू-कश्मीर से 3-4 एजेन्ट आते रहते थे। उन एजेन्टों में से अमित मुतरेजा उर्फ अनिकेत अवस्थी उर्फ अनिरूद्ध शास्त्री निवासी जयपुर राजस्थान और कृष्ण कुमार सोनी नामक व्यक्ति लाइसेंस बनवाने के लिए प्रमेन्द्र की मुलाकात हुई थी। उन्होने प्रमेन्द्र को कहा कि जम्मू एण्ड कश्मीर में हमारी जान पहचान है। तुम्हे थोडे से पैसे खर्च करने पड़ेंगे हम ही तुम्हारा शस्त्र लाइसेंस बनवाकर दे देंगे। तब प्रमेन्द्र ने चक्कर काटने से बचने के लिये अमित मुलरेजा को 15000/- रूपये और अपना पहचान पत्र व अन्य कागज दिये थे। इसके बाद अमित मुतरेजा ने जम्मू एण्ड कश्मीर के किश्तवाड जनपद से प्रमेन्द्र का शस्त्र लाइसेंस बनवा दिया था और कहा कि मेरी जम्मू-कश्मीर में शस्त्र लाइसेंस बनाने वालो से अच्छी बात है। तुम्हारा कोई भी जानकार हो जो आर्मी की नौकरी न करता हो तो भी मैं उसका शस्त्र लाइसेंस बनवा दूँगा,लेकिन उसमें खर्चा ज्यादा आयेगा और उसमे प्रमेन्द्र को कमीशन भी देगा। अमित की यह बात सुनकर प्रमेन्द्र के मन में लालच आ गया उसके बाद प्रमेन्द्र ने गाजियाबाद व नोएडा के अपने जानने वाले कुछ लोगो से सम्पर्क करके अमित मुतरेजा के साथ मिलकर शस्त्र लाइसेंस बनवाने के लिए उन लोगो के पहचान पत्र, अन्य कागजात व रूपये लेकर उनके कागजो में कुछ और फर्जी कागजात लगाकर जम्मू कश्मीर के जनपद किश्तवाडकुपवाडा में जिलाधिकारी कार्यालय के शस्त्र विभाग में कुछ अधिकारी कर्मचारियों के साथ सेटिंग से उनके फर्जी शस्त्र लाइसेंस बनवा दिए। कुछ लोगों के कागजों की छायाप्रति प्रमेन्द्र ने अपने पास रखी थी। प्रमेन्द्र ने बताया कि पिस्टल का लाइसेंस बनवाने के लिए उसने लोगों 80000 रुपये प्रति लाइसेंस व रायफल के लाइसेंस के 90000 रूपये प्रति लाइसेंस लिए थे।

सैटिंग से निलवाई थी शस्त्र लाइसेंस की ब्लैंक किताबें
प्रक्रिया समझने व देखने के बाद प्रमेन्द्र लगा कि जम्मू कश्मीर से शस्त्र लाइसेंस बनाना बहुत आसान है। तो उसने वहाँ के शस्त्र कार्यालय में सैटिंग से कुछ सादा शस्त्र लाइसेंस की किताबें निकलवा ली थी। बाद में उसने उन सादा शस्त्र लाइसेंस की किताबों को अपने शस्त्र लाइसेंस के जैसा तैयार कर उनमें अपने लाइसेंस के यूनीक नम्बर में हेरा फेरी करके फर्जी बनवाई गई स्टॉम्प लगाकर तैयार कर फर्जी शस्त्र लाइसेंस बना दिया करता था। जिसका लाइसेंस होता उसे शस्त्र दिलवाने के लिए प्रमेन्द्र स्वंय आर्मी की वर्दी पहनकर फर्जी शस्त्र लाइसेंस लेकर गन हाऊस पर जाकर शस्त्र पिस्टल/रायफल/रिवाल्वर/बन्दूक दिलवा देता था।

वर्दी में होने के कारण प्रमेन्द्र पर नहीं होता था शक
प्रमेन्द्र ने उन लोगो को फर्जी लाइसेंस पर शस्त्र मेरठ, बुलन्दशहर व नोएडा स्थित गन हाउस से खरीदवाये थे। जिन लोगों को प्रमेन्द्र ने फर्जी शस्त्र लाइसेंस दिये थे उनको यह जानकारी नहीं थी। कि उनके सब लाइसेसं फर्जी है प्रमेन्द्र के वर्दी में होने के कारण गन हाउस वालो को भी प्रवेन्द्र के ऊपर शक नहीं होता था। शस्त्र लाइसेंस का रिन्यूवल करवाने के लिए प्रमेन्द्र शस्त्र लाइसेंस धारकों से 5-5 हजार रूपये लेकर कुछ दिनो बाद फर्जी तरीके से खुद ही मोहर लगाकर व तारीख लिखकर उनको वापस दे देता था।

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