गाजियाबाद। साइबर ठग एआई (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस) का उपयोग करके ठगी की वारदातों से नहीं चूक रहे हैं। आलम यह है कि ठग अपने शिकार पर दबाव बनाने के लिए वाइस क्लोनिंग तक कर डालते हैं। पहले वो अभिभावकों को कॉल करते हैं, जबकि इसके बाद उन्हें धमकाते हैं कि आपका बेटा या बेटी हमारी कस्टडी में है। जबकि उस व्यक्ति की वाइस क्लोनिंग करके अभिभावकों से बात भी कराते हैं। इससे घबराकर लोग ठगों के खाते में मामला सैटल करने के लिए उनकी मांगी गई रकम ट्रांसफर कर देते हैं।
साइबर ठग लोगों को ठगने के लिए नए-नए तरीके ईजाद कर रहे हैं। इसी क्रम में मौजूदा वक्त में वर्चुअल नंबर खरीदकर विदेश से बात करने का झांसा देने लगे हैं। जिस व्यक्ति को कॉल करते हैं उसकी फेसबुक व एक्स प्लेटफार्म से पूरा डाटा अपने पास सुरक्षित रख लेते हैं। उसी जानकारी का हवाला देकर संबंधित व्यक्ति से बात करते हुए खुद को पुलिस आफिसर या बड़ा अपराधी बताकर कहते हैं कि आपका बच्चा हमारे पास है।
इसलिए करते हैं दोपहर में कॉल
साइबर एक्सपर्ट कामाक्षी शर्मा के मुताबिक ऐसी ठगी की घटनाएं ज्यादातर उन लोगों के साथ होती हैं, जिनके बच्चे पढ़ाई या जॉब के लिए यूके, यूएस गए हुए हैंं। भारत में जब दोपहर होती है तो वहां लगभग आधी रात हो चुकी होती है। इसलिए परिवार वाले अपने बच्चे को कॉल करते भी हैं तो फोन रिसीव होने की संभावना काफी कम होती है।
ऐसे करते हैं वाइस क्लोनिंग
फेसबुक से उस बच्चे का वीडियो डाउनलोड करके एआई के जरिये उसकी वाइस क्लोनिंग करते हैं। ऐसे में बच्चा उसी आवाज में कहता है कि मुझे बचा लो या इन लोगों ने पकड़ रखा है। ये शब्द सुनने के बाद मां-बाप या परिवार का बड़ा सदस्य परेशान हो उठता है और ठगों के बताए नंबर पर रकम ट्रांसफर कर देता है।
ऐसे करें बचाव
ऐसे समय में सबसे पहले अपने बच्चे को कॉल कीजिए। अगर आपके बच्चे का फोन पिकअप नहीं होता है तो उसके रूममेट या करीबी को कॉल कीजिए। उनसे कहिये कि जिस स्थान पर बच्चा रहता है, वहां फिजिकल विजिट करें। ताकि सही स्थिति का पता लग सके। इसी बीच अपने पास के पुलिस स्टेशन को भी इस घटनाक्रम की जानकारी देना जरूरी है।