गाजियाबाद। आपका बेटा रेव पार्टी में पकड़ा गया है या ड्रग डीलिंग में गिरफ्तारी हुई है। या फिर उसका अपहरण कर लिया गया है। ऐसी कॉल परिवार वालों को करके आनलाइन ठगी की घटनाएं सामने आ रही हैं। जबकि गौर से देखा जाए तो इन घटनाओं के काफी जिम्मेदार हम खुद हैं। साइबर एक्सपर्ट की मानें तो सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर साझा की जाने वाली एक्टिविटी ही ठगी को बढ़ावा दे रही हैं।
अक्सर देखने और सुनने में आता है कि किसी अभिभावक के मोबाइल पर कॉल आती है और कॉल करने वाला खुद को कभी पुलिस आफिसर बताता है तो कभी अपराधी। वो खुलेआम कहता है कि आपके बच्चे को अगवा कर लिया गया है। कई बार ऐसा भी सुनने को मिलता है कि कॉलर ने कहा कि आपका बेटा क्रिमिनल एक्टीविटी में पकड़ा गया है। परेशान हो चुके परिवार को दबाव में लेकर ये ठग लाखों रुपये की फंडिंग अपने खाते में करा लेते हैं। जबकि बाद में सच्चाई खुलती है तो पता लगता है कि अभिभावक ठगे जा चुके हैं।
इसलिए होती हैं घटनाएं
साइबर एक्सपर्ट कामाक्षी के मुताबिक ठग किसी भी परिवार को ठगने से पहले उसके सोशल मीडिया प्लेटफार्म फेसबुक, एक्स, इंस्टग्राम आदि खंगालते हैं। इस पर आम आदमी खुशी में ये शेयर करता है कि मेरा बेटा यूके में पढ़ाई को गया है या दुबई में जॉब करने गया है। ऐसी पोस्ट देखने के बाद ठग उनके मोबाइल नंबर भी सोशल मीडिया के जरिये खोज लेते हैं। इसके बाद शुरू होता है ठगी का खेल।
वर्चुअल नंबर से होती है ठगी
ठग गूगल प्ले स्टोर से संबंधित देश के कोड वाला एक वर्चुअल नंबर खरीदते हैं। उस नंबर से परिवार वालों को कॉल की जाती है। अगर कोई बच्चा यूके या यूएस में पढ़ने गया है तो ठग ऐसे वक्त पर उसके परिवार को कॉल करते हैं, जब वहां आधी रात होती है और यहां दिन। इसके बाद परिवार वालों को पुलिस या अपराधी बनकर धमकाते हैं और उनके बेटा-बेटी को छुड़ाने के नाम पर लाखों रुपये वसूल लेते हैं। कई बार परिजन बेटे बेटी को कॉल भी लगाते हैं लेकिन आधी रात होने के कारण वो शख्स नींद में होता है और कॉल पिक नहीं कर पाता। नतीजतन ठगी आसानी से हो जाती है।
ऐसे करें बचाव
लोगों को चाहिए कि अपनी एक्टिविटी सोशल मीडिया पर कम से कम साझा करें। ऐसी किसी भी कॉल पर एक साथ घबराएं नहीं बल्कि अपने पुलिस स्टेशन पहुंचकर वहां पूरी बात साझा करें। भले ही कॉल करने वाला कितना भी दबाव बनाए कि पुलिस के पास नहीं जाना है लेकिन इस दबाव में न आएं।
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