शीतकालीन सत्र से 49 सांसद और निलंबित, विपक्ष ने बताया तानाशाही रवैया

नई दिल्ली। मंगलवार को लोकसभा में हंगामा कर रहे 49 सांसदों को और शीतकालीन सत्र से निलंबित कर दिया गया है। अब तक 141 सांसद निलंबित हो चुके हैं। सांसदों के निलंबन को लेकर विपक्ष के नेताओं ने संसद भवन के बाहर धरना प्रदर्शन किया। इस दौरान सांसदों के निलंबन और संसद सुरक्षा चूक की घटना को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, समेत तमाम विपक्षी सांसदों ने गांधी प्रतिमा के सामने विरोध प्रदर्शन किया।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह देशभर में दौरे कर रहे हैं लेकिन सदन में नहीं आ रहे। ये सदन की गरिमा का अपमान है। बहुत सारे सांसदों को लोकसभा और राज्यसभा अध्यक्ष ने निलंबित किया है, देश के इतिहास में पहली बार इतने सांसदों को निलंबित किया गया है। लोगों को डराकर लोकतंत्र खत्म करना चाहते हैं। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि यह स्पष्ट है कि वे विपक्ष-मुक्त लोकसभा चाहते हैं और वे राज्यसभा में भी कुछ ऐसा ही करेंगे। आज अपने सहयोगियों के साथ एकजुटता दिखाते हुए, मैं भी विरोध प्रदर्शन में शामिल हुआ लेकिन जो भी उपस्थित थे उन्हें शेष सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया है, जिसका अर्थ है कि वे बिना किसी चर्चा के अपने विधेयकों को पारित करना चाहते हैं। मुझे लगता है कि यह संसदीय लोकतंत्र के साथ विश्वासघात है। विपक्षी सांसदों निलंबन पर सपा सांसद डिंपल यादव ने कहा कि आज लगभग 40 से ज्यादा सांसद निलंबित हुए हैं। कल भी लोकसभा और राज्यसभा में मिलाकर 80 से ज्यादा सांसद निलंबित हुए। यह लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। जो वातावरण हम देख रहे हैं, जहां हम संसद में अपनी बात नहीं रख पा रहे हैं वह सरकार की पूरी विफलता को दर्शाता है।

अमित शाह 5 मिनट बयान दे देते: फारुख़ अब्दुल्ला
नेशनल कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष फारुख़ अब्दुल्ला ने कहा कि पुलिस किसके हाथ में है? वह गृह मंत्रालय के अधीन है। क्या हो जाता अगर वे(केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह) संसद में आकर 5 मिनट बयान दे देते और कह देते कि हम कार्रवाई कर रहे हैं।

सरकार सही बात सुनना नहीं चाहती: अखिलेश
विपक्षी सांसदों के निलंबन पर समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि यह सरकार सही बात सुनना नहीं चाहती है। भाजपा से यह पूछना चाहिए कि वे लोकतंत्र का मंदिर बोलते हैं। हम सब अपने भाषणों में लोकतंत्र का मंदिर कहते हैं। ये किस मुंह से इसे लोकतंत्र का मंदिर कहते हैं। जब ये विपक्ष को बाहर कर रहे हैं। अगर ये दूसरी बार सरकार में आ गए तो यहां बाबासाहेब अंबेडकर का संविधान नहीं बचेगा।

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