श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद : विवादित परिसर का होगा सर्वे, हाइकोर्ट ने दिया आदेश

प्रयागराज। श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह के विवादित परिसर का सर्वे कराने का हाइकोर्ट ने आदेश दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह फैसला सुनाते हुए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष यानी वक्फ बोर्ड की उन दलीलों को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने इन याचिका को सुनने योग्य नहीं होने का दावा किया था।

हाईकोर्ट के जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच ने फैसला सुनाया। 16 नवंबर को इस अर्जी पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था। इस दिन विवादित परिसर की 18 याचिकाओं में से 17 पर सुनवाई हुई थी। ये सभी याचिकाएं मथुरा जिला अदालत से इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई के लिए शिफ्ट हुईं थीं। हाईकोर्ट के फैसले के बाद अब श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह के 13.37 एकड़ विवादित जमीन का कोर्ट कमिश्नर सर्वे करेंगे। यह सर्वे वाराणसी की ज्ञानवापी में मई में हुए कमिश्नर सर्वे की तरह होगा। इसमें कोर्ट कमिश्नर की टीम वहां जाकर साक्ष्य एकत्रित करके कोर्ट को रिपोर्ट देगी। हाईकोर्ट के फैसले के बाद हिंदू पक्ष के पक्ष वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा,“आज हमने मांग की थी कि मथुरा में 13.37 एकड़ विवादित भूमि योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण की है। मस्जिद का गलत कब्जा है। उस कब्जे को हटाया जाए। 12 अक्टूबर 1968 के समझौते को अवैध घोषित किया जाए। हमने कोर्ट में मांग की थी कि कोर्ट कमिश्नर सर्वे बहुत जरूरी है। कोर्ट ने आज आदेश दे दिया है। कोर्ट कमिश्नर की टीम में कितने सदस्य होंगे? कौन-कौन होंगे? कब सर्वे करेंगे? कैसे फोटो-वीडियोग्राफी होगी? ये सब 18 दिसंबर को हाईकोर्ट में होने वाली अगली सुनवाई में तय होगा।“

18 याचिकाओं पर 17 सुनवाई
श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद को लेकर मथुरा कोर्ट में 18 याचिकाओं में से 17 पर सुनवाई हुई थी। इनमें से ज्यादातर याचिकाओं में कोर्ट कमिश्नर सर्वे की मांग की गई थी। मई 2023 में श्रीकृष्ण विराजमान की याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई थी। इस पर कोर्ट ने मथुरा कोर्ट में चल रहे सभी इस मामले से संबंधित मुकदमों को हाईकोर्ट में ट्रांसफर करवा लिया था।

मुस्लिम पक्ष की आपत्ति खारिज
शाही ईदगाह मस्जिद और यूपी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के वकील ने कोर्ट में आपत्ति दर्ज कराई थी। मुस्लिम पक्षकारों का कहना था कि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है, इसको खारिज किया जाए। जिसे कोर्ट ने नहीं माना।

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