गाजियाबाद। एसटीएफ ने फर्जी कोविड वैक्सीनेशन व जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने वाले गैंग के तीन सदस्यों को पकड़ा है। ये शातिर विभिन्न सॉफ्टवेयर और वेबसाइट के जरिये अब तक करीब 7 हजार फर्जी प्रमाण पत्र बना चुके है। इतना ही नहीं पूरे देेश में गिरोह के सदस्यों ने 436 फ्रेंचाइजी बांटने की बात भी कबूली है।
एसटीएफ के मुताबिक गाजियाबाद से पकड़े गए आरोपी मोहम्मद साहिल, मोहम्मद जुबैर और रियाजुद्दीन हैं। इसमें गैंग का मास्टरमाइंड मोहम्मद साहिल है। इसमें दो आरोपियों को दौलतनगर गांव और तीसरे को ट्रोनिका सिटी तिराहे से पकड़ा गया है। इनसे एक प्रिंटर, लेमिनेशन मशीन, लैपटॉप, थम्ब स्कैनर, वेबकैम, 30 केवाईसी फॉर्म, 15 जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र, विभिन्न हॉस्पिटल के 8 फर्जी डिजिटल हस्ताक्षर, नगर पंचायतों के 7 फर्जी डिजिटल हस्ताक्षर आदि सामान बरामद किया है। एएसपी विशाल विक्रम सिंह ने बताया, जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने के लिए सरकारी वेबसाइट से मिलती-जुलती कई फर्जी वेबसाइट बना लीं। पूछताछ में मास्टरमाइंड साहिल ने एसटीएफ को बताया, हम इन फर्जी वेबसाइटों को कई राज्यों में सॉफ्टवेयर डवलपर के जरिये संचालित करवाते हैं। बाकायदा इसके लिए फ्रेंचाइजी बेचते हैं। आरोपियों ने कुबूला कि हम विदेशों से घुसपैठ करने वाले नागरिकों के भी भारतीय जन्म प्रमाण पत्र बनाते हैं। जिसके आधार पर वे भारत का निवास प्रमाण पत्र हासिल करते हैं और फिर उसी से आधार कार्ड भी बन जाता है। एसटीएफ का दावा है कि ये गैंग अब तक 6675 फर्जी जन्म प्रमाण पत्र, 224 मृत्यु प्रमाण पत्र बना चुका है। इस गैंग ने देशभर में 436 लोगों को फ्रेंचाइजी बांटी है, जो इस फर्जीवाड़े को अंजाम दे रहे थे। दूसरे आरोपी मोहम्मद जुबैर ने बताया, वॉट्सएप, टेलीग्राम व अन्य वेबसाइटों के जरिये लोगों से संपर्क किया जाता था।
फोरेंसिक जांच के लिए जाएंगे उपकरण
एसटीएफ के एएसपी ने बताया, जन्म प्रमाण पत्रों के आधार पर आधार कार्ड भी फर्जी बनाए जाने की आशंका है। इसलिए यूआईएडीआई से इसकी जानकारी मांगी गई है। यह गैंग इन प्रमाण पत्रों का प्रयोग विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ पाने, बीमा कंपनियों से क्लेम लेने में भी करता था। गैंग से जो इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बरामद हुए हैं, उन्हें फोरेंसिक लैब जांच के लिए भेजा जाएगा। इस संबंध में गाजियाबाद के थाना ट्रोनिका सिटी में मुकदमा दर्ज कराया गया है।