लखनऊ। एसजीपीजीआई में बेड के इंतजार में युवक की मौत हो गई। युवक पूर्व सांसद भैरो प्रसाद मिश्रा के बेटे प्रकाश मिश्रा थे। आलम यह रहा कि डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक की ओर से भी बेड की पैरवी की गई लेकिन इसके बाद भी बेड मुहैया नहीं हो सका। अब इस घटना पर प्रदेश की सियासत गरमा गई है। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने सख्त कार्रवाई की बात कही। केशव प्रसाद मौर्य भी पूर्व सांसद से मिलने के लिए पहुंचे। वहीं अखिलेश यादव ने सीधे मुख्यमंत्री को जिम्मेदार ठहराया है।
चित्रकूट के भैरो प्रसाद मिश्रा 2014 में बांदा लोकसभा सीट से भाजपा सांसद चुने गए थे। उनके बेटे प्रकाश मिश्रा को गुर्दे की बीमारी थी। उनका पीजीआई से ही इलाज चल रहा था। शनिवार रात 11 बजे वो पीजीआई पहुंचे थे। पीजीआई पहुंचने से पहले उन्हें इलाज करने का आश्वासन दिया गया था। लेकिन वहां पहुंचने पर इमरजेंसी में उनको बताया गया कि कोई बेड खाली नहीं है। ऐसे में उनकी मदद नहीं हो सकती है। इस दौरान वह डॉक्टरों से मिन्नत करते रहे, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं था। बेटे को स्ट्रैचर पर लेटा कर इधर-उधर भागते रहे लेकिन किसी ने उनकी मदद नहीं की। उसके बाद आखिर में उनके बेटे की मौत हो गई। जबकि बेटे को खोने वाले भैरो प्रसाद मिश्रा ने अपना दर्द बयां किया। उन्होंने कहा- तबीयत बिगड़ने के बाद बेटे को पीजीआई लखनऊ ला रहे थे। मैंने च्ळप् प्रशासन से फोन पर बात की तो उन्होंने कहा कि आप लाइए हम इलाज करेंगे।
फोन करके बुलाया फिर नहीं दिया बेड
भैरो प्रसाद मिश्रा ने कहा, मैंने एहतियातन ब्रजेश पाठक को भी फोन किया। वह भोपाल में थे। उनके पीए ने फोन उठाया। उन्होंने भी पीजीआई फोन किया। इसके बाद मेरे पास पीजीआई के किसी च्त्व् का फोन आया। मुझसे कहा गया कि आप बेटे को लेकर आइए कोई दिक्कत नहीं होगी। इसके बाद वह पीजीआई की इमरजेंसी में ही धरने पर बैठ गए। इसकी सूचना फैली और हंगामा बढ़ता देख पीजीआई के निदेशक डॉ. आरके धीमान और बाकी स्टाफ वहां पहुंचे। सभी ने उनको समझाने की कोशिश की। काफी देर तक समझाने के बाद पूर्व सांसद बेटे का शव लेकर चित्रकूट लौट गए।
डायरेक्टर ने शुरू कराई जांच
इसके बाद निदेशक पीजीआई ने जांच के लिए 3 सदस्यीय टीम गठित कर दी। जांच कमेटी में सीएमएस डॉ. संजय धीराज, चिकित्सा अधीक्षक डॉ. वीके पालीवाल व इमरजेंसी मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. आरके सिंह को शामिल किया गया। कमेटी सोमवार को जांच रिपोर्ट सौंपेगी।