एसडीएम ने किया राज्यपाल को तलब, शासन ने दी चेतावनी

बदायूं। एसडीएम न्यायिक की कोर्ट से महामहिम राज्यपाल को 10 अक्टूबर को नोटिस जारी कर तलब कर लिया गया। उन्हें अपना पक्ष रखने के लिए 18 अक्टूबर की तारीख भी दे दी गई है। नोटिस राज्यपाल तक पहुंचा तो उनके निजी सचिव ने इसे विधि व्यवस्था को भंग करना बताते हुए आपत्ति जताई। वहीं मामला संज्ञान में आने पर डीएम मनोज कुमार ने एसडीएम न्यायिक विनीत कुमार को भविश्य में ऐसी चूक न करने की चेतावनी दी है।

दरअसल पूरा मामला सिविल लाइंस थाना क्षेत्र के गांव लोड़ा बहेड़ी का है। यहां रहने वाले चंद्रहास नाम के व्यक्ति ने एक वाद दायर किया था। इसमें उसने गांव के ही लेखराज समेत पीडब्ल्यूडी व राज्यपाल को पक्षकार बनाया था। उसकी ओर से एसडीएम न्यायिक की कोर्ट में दायर वाद में यह आरोप लगाया गया है कि उसकी चाची कटोरी देवी की संपत्ति उनके रिश्तेदार ने अपने नाम करा ली थी। जबकि बाद में वह जमीन गांव के लेखराज को बेच दी। जबकि बाद में इस जमीन का कुछ हिस्सा शासन ने अधिग्रहण किया और बतौर मुआवजा 12 लाख रुपये लेखराज को मिले। इसकी जानकारी चंद्रहास को हुई तो उसने सदर तहसील के न्यायिक एसडीएम कोर्ट में वाद दायर कर दिया। जिस पर एसडीएम न्यायिक कोर्ट से लेखराज, राज्यपाल को कोर्ट में हाजिर होकर पक्ष रखने का राजस्व संहिता की धारा 144 का नोटिस जारी किया।

 

विशेश सचिव ने दी चेतावनी
16 अक्टूबर को राज्यपाल के विशेश सचिव बद्रीनाथ सिंह की ओर से बदायूं डीएम को पत्र जारी किया गया। इसमें एसडीएम की ओर से जारी नोटिस का हवाला दिया गया है। वहीं यह भी चेताया गया है कि राज्यपाल को नोटिस भेजना संविधान के अनुच्छेद 361 का पूर्णतया उल्लंघन है, जो घोर आपत्तिजनक है। अतः उक्त के आलोक में एसडीएम बदायूं द्वारा महामहिम राज्यपाल को भेजे गए सम्मन की प्रति भेजने समेत यह कहने का निर्देश हुआ है कि संबंधित वाद में विधिक कार्रवाई करें साथ ही भविश्य में इस तरह की पुनरावृत्ति न हो, यह सुनिश्चित करें।

चंद्रहास बोला जमीन मेरी
मुकदमा दायर करने वाले चंद्रहास का कहना है कि जमीन उसकी है। क्योंकि बुआ कई साल उसके घर रही थीं। जबकि धोखाधड़ी से जमीन का बैनामा करा लिया गया है। वहीं जमीन खरीदने वाले लेखराज का कहना है कि चंद्रहास उसे बेवजह परेशान कर रहा है। पहले भी उसने मुकदमा किया था लेकिन हार चुका है। जबकि अब पुनः मुकदमा दायर कर दिया।

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