नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सेम सेक्स मैरिज को कानूनी मान्यता देने से स्पश्ट इंकार कर दिया है। पांच जजों की संविधान पीठ ने कहा कि कोर्ट स्पेशल मैरिज एक्ट में बदलाव नहीं कर सकता। कोर्ट सिर्फ कानून की व्याख्या कर उसे लागू करा सकता है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि स्पेशल मैरिज एक्ट के प्रावधानों में बदलाव की जरूरत है या नहीं, यह तय करना संसद का काम है।
इस मामले पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस हिमा कोहली, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस रविंद्र भट और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की संविधान पीठ ने सुनवाई की थी। जस्टिस हिमा कोहली को छोड़कर फैसला चीफ जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस कौल, जस्टिस भट और जस्टिस नरसिम्हा ने बारी-बारी से फैसला सुनाया। सीजेआई ने सबसे पहले कहा कि इस मामले में 4 जजमेंट हैं। एक जजमेंट मेरी तरफ से है, एक जस्टिस कौल, एक जस्टिस भट और जस्टिस नरसिम्हा की तरफ से है। इसमें से एक डिग्री सहमति की है और एक डिग्री असहमति की है कि हमें किस हद तक जाना होगा। दरअसल, सेम सेक्स मैरिज का समर्थन कर रहे याचिकाकर्ताओं ने इसे स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत रजिस्टर्ड करने की मांग की थी। वहीं, केंद्र सरकार ने इसे भारतीय समाज के खिलाफ बताया था। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल 21 पिटीशंस में याचिकाकर्ताओं का कहना है कि 2018 में सुप्रीम कोर्ट की कॉन्स्टिट्यूशन बेंच ने समलैंगिकता को अपराध मानने वाली आइपीसी की धारा 377 के एक पार्ट को रद्द कर दिया था।
अपना पार्टनर चुनने का अधिकार सभी को
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि ट्रांसजेंडर महिला को एक पुरुष से शादी करने का अधिकार है। उसी तरह ट्रांसजेंडर पुरुष को महिला से शादी करने का अधिकार है। हर व्यक्ति को अपने पार्टनर को चुनने का अधिकार है। वो अपने लिए अच्छा-बुरा समझ सकते हैं।
आर्टिकल 15 सेक्स ओरिएंटेशन के बारे में भी बताता है। हम सभी एक कॉम्प्लेक्स सोसाइटी में रहते हैं। एक-दूसरे के प्रति प्यार और सहयोग ही हमें मनुष्य बनाता है। हमें इसे देखना होगा। इस तरह के रिश्ते अनेक तरह के हो सकते हैं। हमें संविधान के भाग 4 को भी समझना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा केंद्र सरकार समलैंगिक लोगों के अधिकार के लिए एक कमेटी बनाए। यह कमेटी राशन कार्ड में समलैंगिक जोड़ों को परिवार के रूप में शामिल करने, समलैंगिक जोड़ों को संयुक्त बैंक खातों के लिए नामांकन करने, पेंशन, ग्रेच्युटी आदि पर विचार करेगी। समिति की रिपोर्ट को केंद्र सरकार के स्तर पर देखा जाएगा।
ज्यादा मंत्रालयों के बीच तालमेल की दरकार
सुप्रीम कोर्ट में सेम सेक्स मैरिज को कानूनी मान्यता देने की याचिकाओं पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि केंद्र समस्याओं का हल तलाशने के लिए एक कमेटी बनाने को तैयार है। मेहता ने कहा था कि यह कमेटी इन कपल की शादी को कानूनी मान्यता देने के मुद्दे में दाखिल नहीं होगी। समस्याओं को लेकर याचिकाकर्ता यानी सेम सेक्स कपल अपने सुझाव दे सकते हैं। वो हमें बताएं कि क्या कदम उठाए जा सकते हैं। सरकार इस पर सकारात्मक है। हां ये बात जरूर है कि इस मामले में एक नहीं, बल्कि ज्यादा मंत्रालयों के बीच तालमेल की जरूरत है।