एमपी चुनाव: भाजपा समेत कांग्रेस-सपा ने घोशित किए प्रत्याशी, कांग्रेस में बगावत शुरू

भोपाल। मध्य प्रदेश में 17 नवंबर को 230 विधानसभा सीटों पर होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियों ने अपने अपने प्रत्याशियों के लिस्ट जारी कर दी। बीजेपी अब तक अपनी चार तो कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने भी पहली लिस्ट जारी कर दी है। बीजेपी की पांचवी लिस्ट आज जारी होने की अटकलें हैं।

कांग्रेस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पार्टी हाई कमान द्वारा फाइनल किए गए प्रत्याशियों की लिस्ट शेयर की है। कांग्रेस ने 230 विधानसभा सीटों में से 144 सीटों पर कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं। वहीं समाजवादी पार्टी ने भी 9 उम्मदीवारों को मैदान में उतारा है। जबकि बीजेपी भी अपनी चौथी लिस्ट जारी कर चुकी है। पहली सूची जारी होने के बाद कांग्रेस में विरोध शुरू हो गया है।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मध्य प्रदेश चुनाव के लिए 9 प्रत्याशी मैदान में उतारे है। पार्टी ने निवाड़ी-46 से मीरा दीपक यादव, राजनगर से बृजगोपाल पटेल, भांडेर से डीआर राहुल,धौहानी से विश्वनाथ सिंह मरकाम, चितरंगी से श्रवण कुमार सिंह, सिरमौर से लक्ष्मण तिवारी ,बिजावर से मनोज यादव ,कटगी से महेश सहार, सीधी से राम प्रताप सिंह यादव को सपा प्रत्याशी बनाया गया है। मध्यप्रदेश में वोटों की गिनती 3 दिसंबर को होगी।

कांग्रेस में सुलगी बगावत की चिंगारी
मध्य प्रदेश चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस की पहली लिस्ट जारी होने के बाद पार्टी में विरोध होना शुरू हो गया है। पहली लिस्ट जारी होने के बाद दावेदारी ठोक रहे केदारसिंह ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। जबकि कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष अजय यादव ने भी पार्टी छोड़ दी है। कांग्रेस में प्रत्याशियों की लिस्ट जारी होने के बाद शुरू हुई बगावत से पार्टी को चुनाव में भारी नुकसान हो सकता है। अब ये वागी किस दल का दामन थामेंगे, इसको लेकर फिलहाल केवल कयास लगाए जा रहे हैं।

बीजेपी ने 24 मंत्री-57 विधायकों पर खेला दांव
मध्य प्रदेश चुनाव में बीजेपी अब तक प्रत्याशियों की कुल चार लिस्ट जारी कर चुकी है। जिसमें भाजपा ने 24 मंत्रियों और 57 विधायकों को दोबारा मौका दिया है। पार्टी से जुड़े सूत्रों के अनुसार आज सोमवार को बीजेपी प्रत्याशियों की पांचवी लिस्ट भी जारी कर सकती है। मंत्री और विधायकों पर दोबारा भरोसा जताने पर पार्टी को कहीं फायदा तो कहीं नुकसान भी हो सकता है। हालांकि शीर्श नेतृत्व फिलहाल किसी भी स्तर पर संगठन के नेताओं या दावेदारों को नाराज करने की स्थिति में नहीं है।

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