नई दिल्ली। इजराइल पर सात अक्टूबर को भीशण हमले के बाद फिलिस्तीन के कमांडर मोहम्मद दइफ ने ब्राडकास्ट टेप पर अपना मैसेज दिया। इसमें उसने कहा है कि साल से इजराइल ने गाजा को चारों तरफ से घेरकर रखा है। अमेरिका और पश्चिमी देशों की वजह से कोई हमारे हक में आवाज नहीं उठाता, पूरी दुनिया ने हमें नजरअंदाज किया। हमने ठाना है कि अब ऐसा नहीं होगा। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक इजराइल पर हुए हमले की पूरी प्लानिंग के पीछे मोहम्मद देइफ का हाथ है।
देइफ 2 साल पहले अल-अक्सा मस्जिद में इजराइली सेना की रेड को अपने दिल और दिमाग से निकाल नहीं पा रहा। मस्जिद में नमाजियों पर होते हमलों को देखने के बाद उसने ठान लिया था कि वो इसका बदला जरूर लेगा। इधर, अल-अक्सा मस्जिद के विवाद के बाद इजराइल को गुमराह किया गया। उसे इस भ्रम में रखा गया कि हमास विवाद को आगे बढ़ाने की बजाय, गाजा पट्टी के आर्थिक विकास पर फोकस करना चाहता है। हमास के एक नेता के मुताबिक वो 2 साल से इस जंग की तैयारी में जुटे थे। रॉयटर्स के मुताबिक हमले का फैसला देइफ और गाजा में हमास के लीडर येहया सिनवार ने मिलकर किया था। हालांकि इसका मास्टरमाइंड देइफ ही था। उसी ने पूरी प्लानिंग की थी कि हमले कब और कैसे किए जाएंगे।
घुसपैठिये का बेटा है देइफ
देइफ 2002 से हमास के मिलिट्री विंग का हेड है। 1950 में इजराइल में हथियार लेकर घुसपैठ करने वालों में उसका पिता भी शामिल था। बचपन से ही उसने अपने रिश्तेदारों को फिलिस्तीन की लड़ाई लड़ते हुए देखा था। देइफ ने गाजा की इस्लामिक यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है। 20 की उम्र के बाद देइफ की कोई तस्वीर सामने नहीं आई है। हमास की स्थापना 80 के दशक के अंत में हुई। तब देइफ की उम्र करीब 20 साल थी। ये वो समय था जब वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी पर इजराइल के कब्जे के खिलाफ पहले फिलिस्तीनी इंतिफादा या विद्रोह की शुरुआत हुई थी। इस दौरान देइफ को आत्मघाती बम विस्फोटों में दर्जनों लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था।
हर हमले में खुद को बचा गया शातिर
2014 में, इजराइली सेना ने एक घर पर हमले कर देइफ को जान से मारने की कोशिश की। इसमें भी वो नाकाम रही, हमले में देइफ की पत्नी और सात महीने का बेटा और एक 3 साल की बेटी मारी गई। न्यूयॉर्क टाइम्स ने सुरक्षा मामलों के एक्सपर्ट और इजराइली पत्रकार रोनेन बर्गमैन के मुताबिक देइफ हमास का एकमात्र मिलिट्री कमांडर है जो इतने लंबे समय से जीवित है। इतनी कोशिशों के बावजूद देइफ के न मारे जाने की वजह से उसको बुलेट प्रूफ लीजेंड कहा जाता है।