छह राज्यों में एनआईए का छापा, संदिग्ध पकड़े

नई दिल्ली। नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) की टीम एक बार फिर छापामारी के लिए मैदान में उतरी है। बुधवार को देश के छह राज्यों में टीम ने छापामारी शुरू कर दी है। टीम इस बार पीएफई के ठिकानों पर दबिश दे दी है। इसके लिए यूपी, एमपी, राजस्थान, दिल्ली, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में टीम के अधिकारी पहुंचे हैं।

केंद्र सरकार ने पीएफई समेत उससे जुड़े आठ संगठनों पर पांच साल का बैन लगा दिया था। गृह मंत्रालय ने इन संगठनों को बैन करने का नोटिफिकेशन जारी किया था। संगठन के खिलाफ टेरर लिंक के सबूत मिले। केंद्र सरकार ने यह एक्शन (अनलॉफुल एक्टिविटी प्रिवेंशन एक्ट) के तहत लिया। सरकार ने कहा, संगठनों की गतिविधियां देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा हैं। इधर, एनआईए टीम ने राजस्थान के टोंक, कोटा, गंगापुर जिलों में छापामारी शुरू की है। कुछ संदिग्ध भी हाथ लगे हैं, जिन्हें पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है।

इसलिए लगाई गई रोक
पीएफई व इससे जुड़े संगठन गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे थे। ये गतिविधियां देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा के लिए खतरा हैं। इनकी गतिविधियां भी देश की शांति और धार्मिक सद्भाव के लिए खतरा बन सकती हैं। ये संगठन देश में कट्टरपंथ को बढ़ावा दे रहा था। क्रिमिनल और टेरर केसेस से जाहिर है कि इस संगठन ने देश की संवैधानिक शक्ति के प्रति असम्मान दिखाया है। बाहर से मिल रही फंडिंग और वैचारिक समर्थन के चलते यह देश की आतंरिक सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन गया है। इसका मकसद समाज में युवाओं, छात्रों, महिलाओं, इमामों, वकीलों और कमजोर वर्गों के बीच पैठ बढ़ाना था। ताकि क्षमता का इस्तेमाल ने अपनी गैरकानूनी गतिविधियां बढ़ाने में किया जा सके। बैंकिंग चैनल्स, हवाला और डोनेशन आदि के जरिए संगठनों के लोगों ने भारत और विदेशों से फंड इकट्ठा किया। यह उनके सुनियोजित आपराधिक षडयंत्र का ही एक हिस्सा था। इस फंड के छोटे-छोटे हिस्सों को कई एकाउंट्स में ट्रांसफर किया गया और ऐसा दिखलाया गया कि यह लीगल फंड है। लेकिन, इसका इस्तेमाल आपराधिक, गैरकानूनी और आतंकवादी गतिविधियों में किया गया।

 

ये भी बड़ी वजह
संगठन के मेंबर्स ने ईराक, सीरिया और अफगानिस्तान में जैसे देशों के संपर्क में हैं। कई मुठभेड़ों में मारे गए। कई मेंबर्स की गिरफ्तारी हुई। देश में भी राज्यों की पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों ने मेंबर्स को अरेस्ट किया। कुछ फाउंडिंग मेंबर्स के लीडर्स थे। इसके संबंध जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश से थे। जबकि वो भी प्रतिबंधित संगठन है। पीएफई द्वारा किए गए अपराधों में प्रोफेसर का हाथ काटना, दूसरे धर्मों को मानने वाले लोगों की हत्याएं, बड़ी हस्तियों और जगहों को निशाना बनाने के लिए विस्फोटक जुटाना आदि शामिल हैं।

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