नोबेल शांति पुरस्‍कार: ईरान की नरगिस मोहम्‍मदी को मिला सर्वोच्‍च सम्‍मान, जेल में कट रही जिंदगी

तेहरान। नार्वे की नोबल कमिटी ने ईरान की मानवाधिकार कार्यकर्ता न‍रगिस मोहम्‍मदी को साल 2023 के लिए नोबेल शांति पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया है। उन्‍होंने ईरान में महिलाओं के दमन के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। उन्‍हें अब तक 13 बार अरेस्‍ट किया जा चुका है। यही नहीं 5 बार दोषी ठहराया जा चुका है। नरगिस ने 31 साल जेल में बिताए हैं, वो अभी भी जेल में ही हैं। यही नहीं उन्‍हें 154 कोड़े भी मारे गए हैं।

नरगिस का जन्म कुर्दिस्तान ईरान के जंजन शहर में 21 अप्रैल 1972 में हुआ। उन्होंने फिजिक्स की पढ़ाई की थी। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने इंजीनियर के तौर पर काम किया। वो कॉलमनिस्ट भी रहीं। कई अखबारों के लिए लिखती थीं। 1990 के दशक से ही नरगिस महिलाओं के हक के लिए आवाज उठा रही थीं। 2003 में उन्होंने तेहरान के डिफेंडर्स ऑफ ह्यूमन राइट सेंटर में काम शुरू किया। नरगिस ने एक किताब भी लिखी है, जिसका नाम व्हाइट टॉर्चर है। ईरानी हुकूमत की तमाम कोशिशों के बावजूद, मोहम्मदी की आवाज दबाई नहीं जा सकी। जेल में रहते हुए उन्होंने साथी कैदियों की तकलीफ को दर्ज करना शुरू किया। आखिरकार कैदियों से बातचीत के पूरे ब्योरे को उन्होंने व्हाइट टॉर्चर किताब में उतार दिया। 2022 में उन्हें रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF) के साहस पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।

मोहम्मदी वह तेहरान की बेहद खतरनाक मानी जाने वाली इविन जेल में 10 साल की सजा काट रही हैं। उनके खिलाफ सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार का आरोप है। पिछले 30 साल में नरगिस मोहम्मदी को उनके लेखन और आंदोलन के लिए सरकार ने उन्हें कई बार सजा दे चुकी है। अगर आंकड़ों की बात करें तो न्यायपालिका ने मोहम्मदी को पांच बार दोषी ठहराया है, 13 बार गिरफ्तार किया है। इसे दौरान उन्हें कुल 31 साल की जेल और 154 कोड़े मारने की सजा सुनाई गई है। उनके पति ने बताया कि इस साल उनके खिलाफ तीन और मामले शुरू किए गए हैं, जिसमें उन्हें अतिरिक्त जेल हो सकती है।

8 साल से बच्चों से नहीं मिलीं नरगिस
जून में न्यूयॉर्क टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में नरगिस ने कहा था कि उन्होंने 8 साल से अपने बच्चों को नहीं देखा है। उन्होंने आखिरी बार अपनी जुड़वा बेटियों अली और कियाना की आवाज एक साल पहले सुनी थी। नरगिस की दोनों बेटियां उनके पति तागी रहमानी के साथ फ्रांस में रहती हैं। दरअसल, तागी भी एक पॉलिटिकल एक्टिविस्ट हैं। जिन्हें ईरान की सरकार ने 14 साल जेल की सजा दी थी। मोहम्मदी के पति, 63 साल के तगी रहमानी हैं। वह भी एक लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। रहमानी भी ईरान में 14 साल की जेल काट चुके हैं। इसके बाद वह अपने जुड़वां बच्चों के साथ निर्वासन में फ्रांस में रह रहे हैं। सजा के लगातार सिलसिले के चलते नरगिस मोहम्मदी को अपने परिवार और बच्चों से लगातार दूर रहना पड़ा है।

ऐसे हुई लड़ाई की शुरुआत
मोहम्मदी का बचपन जंजान की सेंट्रल सिटी में एक मिडिल क्लास परिवार में गुजरा। उनके पिता एक किसान थे और खाना बनाने का काम करते थे। हालांकि उनकी मां का परिवार राजनीति से जुड़ा था। जब 1979 में इस्लामिक क्रांति ने राजशाही का अंत किया तो उनके ऐक्टिविस्ट मामा और दो कजिन्स भी गिरफ्तार हुए थे। मोहम्मदी ने सिटी ऑफ काजविन में न्यूक्लियर फिजिक्स की पढ़ाई की। यहां पर वह किसी महिला छात्र संगठन से जुड़ना चाहती थीं, लेकिन वहां ऐसा कुछ था नहीं। इसके बाद नरगिस ने खुद ही इस तरह के संगठन बनाए। पहले एक महिला हाइकिंग ग्रुप और एक सिविक एंगेजमेंट ग्रुप। कॉलेज में ही नरगिस की मुलाकात अपने पति से हुई थी।

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