संजय गांधी अस्पताल के लाइसेंस के निलंबन पर रोक, हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

अमेठी। उत्तर प्रदेश के अमेठी के संजय गांधी अस्पताल के मामले में योगी सरकार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से झटका लगा है। ओपीडी समेत सभी सेवाओं पर रोक लगाने के योगी सरकार के आदेश पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। इससे पहले भी 27 सितंबर को भी हाईकोर्ट ने मामले पर सुनवाई की थी और सरकार से पूछा था कि जांच कब पूरी होगी।

अस्पताल का लाइसेंस निलंबित करने के बाद कर्मचारियों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुनवाई के लिए सितंबर के अंतिम सप्ताह में डेट पड़ी, जिस पर हाईकोर्ट ने सुनवाई के लिए 5 अक्टूबर का समय दिया। दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने संजय गांधी अस्पताल को बड़ी राहत देते हुए निलंबित लाइसेंस पर स्टे दे लगा दिया। कोर्ट के आदेश के बाद स्वास्थ्यकर्मियों ने मिठाई बांटकर खुशी जाहिर की है। दरअसल संजय गांधी अस्पताल का संचालन दिल्ली स्थित संजय गांधी मेमोरियल ट्रस्ट करता है। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी इस ट्रस्ट की अध्यक्ष हैं और पार्टी नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाद्रा उसके सदस्य हैं।

‘गुरुवार से खुलेगा अस्पताल’
संजय गांधी अस्पताल के मैनेजर एडमिन सुरेश कुमार ने कहा, ”हाईकोर्ट से स्टे मिला है। अभी आदेश की कॉपी नहीं मिली है। कोर्ट के आदेश की कॉपी मिलते ही अस्पताल को खोला जाएगा। शाम तक कॉपी आने की संभावना है। गुरुवार को अस्पताल खोला जाएगा।”

अस्पताल परिसर पहुंचे पूर्व MLC
कोर्ट के आदेश के बाद कांग्रेस के पूर्व एमएलसी दीपक सिंह ने कहा कि आज हाईकोर्ट के फैसले से संजय गांधी अस्पताल का ताला खुलने से अमेठी के लाखों भावनाओं की जीत है। आज अमेठी लिए विजय दशमी से कम नहीं, क्योंकि आज सत्य जीत हुई है और अज्ञानी का अहंकार और नफरत हारी है। मोहब्बत जीती है। अस्पताल के लिए संघर्ष कर रहे तमाम साथियों की जीत है। उन कर्मचारियों और दुकानदारों की जीत है, जिन्हें बेरोजगार किया जा रहा था।

कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि मामले की जांच कब तक होगी पूरी
दरअसल सर्जरी के दौरान एक महिला की मृत्यु होने पर अस्पताल का लाइसेंस निलंबित कर दिया गया था। इसकी जांच चल रही है। इसको लेकर कोर्ट ने सरकारी वकील से पूछा था कि जांच कब तक पूरी होगी। वहीं, कोर्ट में सुनवाई के दौरान बहस में यह पता चला था कि अस्पताल को सर्जरी के लिए लाइसेंस ही नहीं था। इसके बावजूद वहां सर्जरी की जा रही थी।

बता दें दिव्या शुक्ला को 14 सितंबर को प्रसव के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उसके पति ने दावा किया कि ऑपरेशन के दौरान उसे एनेस्थीसिया की अधिक मात्रा दी गई थी, जिससे उसकी हालत बिगड़ गई और अंततः उसकी मृत्यु हो गई। 16 सितंबर की देर शाम परिजनों ने दिव्या के शव को अस्पताल के मुख्य द्वार पर रखकर देर रात तक प्रदर्शन किया। पुलिस प्रशासन ने दिव्या के परिजनों की तहरीर पर संजय गांधी अस्पताल के सीईओ अवधेश शर्मा, एनेस्थीसिया विशेषज्ञ डॉक्टर सिद्दीकी, जनरल सर्जन मोहम्मद रजा और फिजिशियन डॉक्टर शुभम द्विवेदी के खिलाफ मुंशीगंज थाने में गैर इरादतन हत्या के तहत मुकदमा पंजीकृत किया था। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने मामले का संज्ञान लेते हुए जांच कर कार्रवाई का निर्देश दिया था, जिसके बाद अस्पताल का पंजीकरण निलंबित कर दिया गया था। स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल का लाइसेंस निलंबित कर दिया और ओपीडी और आपातकालीन सेवाएं बंद कर दीं।

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