शराब घोटाले में ईडी की कार्रवाई, 10 घंटे की पूछताछ के बाद सांसद संजय सिंह गिरफ्तार

दिल्ली। शराब घोटाले में पूछताछ के बाद ED ने आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह को गिरफ्तार कर लिया है। बुधवार सुबह से ही संजय सिंह के आवास पर ईडी की छापेमारी चल रही थी। दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया शराब घोटाले मामले में पहले से ही तिहाड़ जेल में बंद हैं।

प्रवर्तन निदेशालय की चार्जशीट में आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह का नाम था। शराब कारोबारी दिनेश अरोड़ा को सरकारी गवाह बनाने के अगले दिन ईडी ने संजय सिंह के 125 नॉर्थ एवेन्यू स्थित सरकारी आवास पर छापेमारी की थी। बुधवार को सुबह 6.30 बजे ईडी आप सांसद के घर पहुंच गई थी। लोकल थाना पुलिस से भी कोई जानकारी साझा नहीं की गई। दिनेश अरोड़ा ने बयान में कहा है कि संजय सिंह के अनुरोध पर उसने दिल्ली के रेस्तरां और बार मालिकों से 82 करोड़ जमा करके मनीष सिसोदिया को चेक के रूप में पार्टी फंड के बहाने दिया था। उस पैसे का इस्तेमाल उस दौरान आने वालों विधानसभा चुनावों में किया जाना था।

दिल्ली की नई शराब नीति क्या थी?
17 नवंबर 2021 को दिल्ली सरकार ने राज्य में नई शराब नीति लागू की। इसके तहत राजधानी में 32 जोन बनाए गए और हर जोन में ज्यादा से ज्यादा 27 दुकानें खुलनी थीं। इस तरह से कुल मिलाकर 849 दुकानें खुलनी थीं। नई शराब नीति में दिल्ली की सभी शराब की दुकानों को प्राइवेट कर दिया गया। इसके पहले दिल्ली में शराब की 60 प्रतिशत दुकानें सरकारी और 40 प्रतिशत प्राइवेट थीं। नई पॉलिसी लागू होने के बाद 100 प्रतिशत प्राइवेट हो गईं। सरकार ने तर्क दिया था कि इससे 3,500 करोड़ रुपये का फायदा होगा। सरकार ने लाइसेंस की फीस भी कई गुना बढ़ा दी। जिस एल-1 लाइसेंस के लिए पहले ठेकेदारों को 25 लाख देना पड़ता था, नई शराब नीति लागू होने के बाद उसके लिए ठेकेदारों को पांच करोड़ रुपये चुकाने पड़े। इसी तरह अन्य कैटेगिरी में भी लाइसेंस की फीस में काफी बढ़ोतरी हुई।

बड़े कारोबारियों को लाभ पहुंचाने का आरोप
शराब ब्रिकी के लिए ठेकेदारों को लाइसेंस लेना पड़ता है। इसके लिए सरकार ने लाइसेंस शुल्क तय किया है। सरकार ने कई तरह की कैटेगिरी बनाई है। इसके तहत शराब, बीयर, विदेशी शराब आदि को बेचने के लिए लाइसेंस दिया जाता है। अब उदाहरण के लिए पहले जिस लाइसेंस के लिए ठेकेदार को 25 लाख रुपये का भुगतान करना पड़ता था, नई शराब नीति लागू होने के बाद उसी के लिए पांच करोड़ रुपये देने पड़े। आरोप है कि दिल्ली सरकार ने जानबूझकर बड़े शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाने के लिए लाइसेंस शुल्क बढ़ाया। इससे छोटे ठेकेदारों की दुकानें बंद हो गईं और बाजार में केवल बड़े शराब माफियाओं को लाइसेंस मिला। विपक्ष का आरोप ये भी है कि इसके एवज में आप के नेताओं और अफसरों को शराब माफियाओं ने मोटी रकम घूस के तौर पर दी।

शराब घोटाले में चार्जशीट में किस-किस के नाम
पहली चार्जशीट में पहली बार मनीष सिसोदिया का नाम आरोपी के तौर पर सामने आया था। कई अन्य लोग भी शामिल थे। इसके बाद दिल्ली शराब घोटाले से जुड़े धनशोधन के एक मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने विशेष अदालत में दूसरा पूरक आरोपपत्र दाखिल किया है। इसमें तीन व्यक्तियों राघव मगुंटा, राजेश जोशी और गौतम मल्होत्रा के अलावा उनसे जुड़ी पांच कंपनियों को आरोपी बनाया गया है।

ईडी ने अभी तक इस मामले में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया एवं व्यवसायी अमनदीप सिंह ढाल के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल नहीं किया था। दूसरी चार्जशीट में ईडी ने 12 आरोपी बनाए थे। ईडी ने राउज एवेन्यू कोर्ट में दिल्ली शराब आबकारी नीति मामले में दूसरी चार्जशीट दायर की थी। चार्जशीट में 12 अभियुक्तों के नाम शामिल थे। विजय नायर, शरथ रेड्डी, बिनॉय बाबू, अभिषेक बोइनपल्ली, अमित अरोड़ा और 7 कंपनियों के नाम थे। अभी भी जांच जारी है।

ऐसे शुरू हुई जांच
साल 2021-22 की नई शराब नीति लागू होने के बाद कई गड़बड़ियों की शिकायतें मिली थीं। एमएचए के डायरेक्टर ने सीबीआई से शराब घोटाले की जांच कराने का आदेश दिया था। जिसके बाद एलजी विनय कुमार सक्सेना को एक लेटर भेजा गया। जिसमें गड़बड़ियों का जिक्र था। इसके बाद एलजी ने जांच की मंजूरी दी और नई शराब नीति की जांच शुरू हो गई। पहले दिल्ली मुख्य सचिव ने भी इस मामले पर शिकायत की थी।

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