पीएम मोदी के साथ श्रमदान करने वाले अंकित बैयनपुरिया कौन हैं?

सोनीपत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को स्वच्छता अभियान पखवाड़ा की शुरुआत की। पीएम ने सोनीपत के गांव बैयांपुर के रहने वाले अंकित बैयनपुरिया के साथ इस अभियान की शुरआत की।पीएम ने फिटनेस को बढ़ावा देने के लिए अंकित की तारीफ भी की। श्रमदान का वीडियो वायरल होने के बाद अंकित बैयनपुरिया लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गए हैं।

पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर अंकित बैयनपुरिया के साथ बातचीत करते हुए 4 मिनट 41 सेकेंड का एक वीडियो शेयर किया है। इसमें वे स्वच्छ और स्वस्थ भारत का संदेश दे रहे हैं। सितंबर के मन की बात कार्यक्रम में PM मोदी ने 1 अक्टूबर को सुबह 10 बजे से एक घंटे के लिए लोगों से स्वच्छता के लिए श्रमदान की अपील की थी। अंकित की इस उपलब्धि पर उसके माता-पिता खुश हैं और उनका कहना कि उनके बेटे ने इस मुकाम को हासिल करने के लिए दिन-रात मेहनत की है। अंकित सोनीपत के कॉलेज में पढ़ा लिखा है। जहां से उसने बैचलर तक की पढ़ाई पूरी की है। जबकि उसने अपने मेहनत और पहलवानी के शौक को कायम रखने के लिए जोमैटो में डिलीवरी का काम भी किया है। साथ में घर का काम भी वह बहुत अच्छे तरीके से करता है आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब से उनके बेटे के साथ वीडियो डाली है तब से उनको बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है और उनको खुशी हो रही है।

कौन हैं अंकित बैयनपुरिय?
हरियाणा के सोनीपत के बयानपुर गांव में जन्मे फिटनेस के शौकीन अंकित सिंह को अंकित बैयनपुरिया नाम से जाना जाता है। अंकित के नाम के साथ उनके गांव का नाम जुड़ गया है। अंकित फिलहाल प्राइवेट जॉब करते हैं। इससे पहले वो फूड डिलीवरी का भी काम कर चुके हैं।  गांव के पहलवान कृष्ण से प्रेरणा लेकर उसने कुश्ती की शुरुआत की थी। कृष्ण पहलवान खलीफा के तौर पर जाने जाते थे। तब ज्यादातर कुश्ती मैट पर नहीं बल्कि मिट्टी के अखाड़े में की है। फिटनेस रखने के लिए वह कुश्ती लड़ने के लिए खाने-पीने की वस्तुओं का ज्यादा ध्यान रखना पड़ रहा है।

अंकित कुश्ती और फिटनेस के लिए अपनी डाइट पर पूरा ध्यान देते हैं। पहले परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के चलते उनकी डाइट ठीक नहीं थी। जैसे-जैसे परिवार के हालात बदले, उन्होंने खुद की डाइट को भी चेंज किया। अंकित कुश्ती और फिटनेस के लिए अपनी डाइट पर पूरा ध्यान देते हैं। पहले परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के चलते उनकी डाइट ठीक नहीं थी। जैसे-जैसे परिवार के हालात बदले, उन्होंने खुद की डाइट को भी चेंज किया।

माता-पिता ने दिन-रात मेहनत की
अंकित बताते हैं कि उनके माता-पिता पढ़े-लिखे नहीं हैं। मगर, उन्हें पढ़ाने के लिए दिन-रात मेहनत की। गांव के स्कूल में ही उन्होंने शुरुआती शिक्षा ली। उनके माता-पिता का सपना था कि उनके बच्चे कम से कम बीए तक की शिक्षा जरूर लें।

2022 में चोट के बाद गीता से सहारा मिला
अंकित बताते हैं कि 2022 में गांव के दंगल में पहलवान करते समय ज्यादा इंजरी हो गई। इसके बाद मन टूटने लगा। हालत बेहद खराब हो चुकी थी। इससे उबरने का सबसे ज्यादा क्रेडिट वह श्रीमद भागवत गीता को देते हैं। 75 डेज चैलेंज कोई फिजिकल नहीं बल्कि मेंटल टफनेस चैलेंज है। गीता मनुष्य को जीवन जीना सिखाती है।

क्या है 75 हार्ड चैलेंज?
27 जून को अंकित बैयानपुरिया ने 75 हार्ड चैलेंज की शुरुआत की थी। 75 हार्ड चैलेंज 2020 में अमेरिकी उद्यमी और लेखक एंडी फ्रिसेला ने बनाया था। इस चैलेंज में सेल्फी लेना, शराब या जंक-फास्ट फूड ना खाना, डेली 4-5 लीटर पानी पीना, दिन में दो बार वर्कआउट करना, रात को सोते वक्त एक किताब के 10 पन्ने पढ़ना, जैसे दैनिक कार्य शामिल हैं। इनमें से किसी भी कार्य को पूरा करने में असफल होने का मतलब है कि चैलेंज को फिर से पहले दिन से शुरू करना है। अंकित ने अपनी मानसिक दृढ़ता को बढ़ाने के लिए इस चुनौती को स्वीकार किया था। उनका 75 हार्ड चैलेंज 11 सितंबर 2023 को पूरा हुआ था। 75 हार्ड चैलेंज के बाद अंकित की पॉप्यूलेरिटी आसमान पर पहुंच गई। इन 75 दिनों में अंकित के हजारों से मिलियन में फॉलोअर्स पहुंच गए। लाखों लोग उनके राम राम सारया ने बोलने के तरीके को भी कॉपी करने लगे। यही वजह है कि पीएम मोदी ने भी अंकित से उनके 75 हार्ड चैलेंज के बारे में पूछ ही लिया।

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