पटना। लोकसभा चुनाव की तैयारियों के बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बड़ा चुनावी दांव खेल दिया है। नीतीश सरकार ने जातिगत जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक कर दिए। इसके बाद यहां के सियासी गलियारों में अफरातफरी का माहौल है
अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक राज्य में बिहार में सवर्णों की तादाद 15.52 फीसद, यादव समुदाय की आबादी 14 फीसद, ब्रहाण समुदाय की आबादी 3.66 फीसद, राजपूत समुदाय की आबादी 3.45 फीसद, मुसहर समुदाय की आबादी 3 फीसद, कुर्मी समुदाय की आबादी 2.87 फीसद और भूमिहार समुदाय की आबादी 2.86 फीसदी है। बिहार में 81.99 प्रतिशत यानी लगभग 82% हिंदू हैं। इस्लाम धर्म के मानने वालों की संख्या 17.7% है। शेष ईसाई सिख बौद्ध जैन या अन्य धर्म मानने वालों की संख्या 1% से भी कम है। राज्य के 2146 लोगों ने अपना कोई धर्म नहीं बताया।
नौ दलों की बुलाई जाएगी बैठक
सीएम नीतीश कुमार ने एक्स प्लेटफार्म पर कहा कि गांधी जयंती के शुभ अवसर पर बिहार में कराई गई जाति आधारित गणना के आंकड़े प्रकाशित कर दिए गए हैं। जाति आधारित गणना के कार्य में लगी हुई पूरी टीम को बहुत-बहुत बधाई! जाति आधारित गणना के लिए सर्वसम्मति से विधानमंडल में प्रस्ताव पारित किया गया था। बिहार विधानसभा के सभी 9 दलों की सहमति से निर्णय लिया गया था कि राज्य सरकार अपने संसाधनों से जाति आधारित गणना कराएगी। 02-06-2022 को मंत्रिपरिषद से इसकी स्वीकृति दी गई थी। इसके आधार पर राज्य सरकार ने अपने संसाधनों से जाति आधारित गणना कराई है।
दो फेज में पूरी हुई थी जाति आधारित गणना
बिहार में जाति आधारित जनगणना का पहला चरण 7 जनवरी से शुरू हुआ था। इस चरण में मकानों को गिना गया। यह चरण 21 जनवरी 2023 को पूरा कर लिया गया था। वहीं 15 अप्रैल से दूसरा चरण की गणना की शुरुआत हुई। इसे 15 मई को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन, मामला कोर्ट में चला गया। इसके बाद पटना हाईकोर्ट ने गणना पर रोक लगा दिया था। बाद में फिर पटना हाईकोर्ट ने ही जाति आधारित गणना को हरी झंडी दी।दूसरे चरण में परिवारों की संख्या, उनके रहन-सहन, आय समेत अन्य जानकारियां जुटाई गईं। इसके बाद मामला सुप्रीमो कोर्ट में भी गया। लेकिन, कोर्ट ने इस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।