‘रावण से बड़े नहीं हैं सीएम योगी’, पुलिस के रोकने पर भड़के यति नरसिंहानंद

गाजियाबाद। शिव शक्ति धाम डासना के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लेकर एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि योगी रावण से बड़ा नहीं है। उन्हें एक बार फिर नजरबंद किया गया। इसी दौरान पुलिस और उनके बीच बातचीत का वीडियो सामने आया है।

यति नरसिंहनंद कहते हैं कि हमने मुलायम सिंह यादव का समय देखा, कभी नहीं रूके पुलिस से, फिर हमने मायावती का समय देखा। ये पूरा इलाका जानता है। उसके बाद हमने अखिलेश यादव का समय देखा। आज वहां पर हमारा ही आदमी मुख्यमंत्री बनकर बैठा है और आप हमें ही कुचल रहे हो। क्यों वह आपकी बात सुन रहे हैं और हमारी बात नहीं सुन रहे हैं। आगे कहा कि योगी रावण से बड़ा नहीं है। कभी योगी को लगता हो कि सत्ता बड़ी है। मैं तो आज मर जाऊंगा या कल। सत्ता कभी किसी की नहीं रहने वाली है।

क्या है मामला?
यति नरसिंहानंद सरस्वती बीती 27 तारीख को मेरठ के खजुरी गांव जाना चाहते थे। यहां एक साल पहले दूसरे समुदाय के लोगों ने दीपक त्यागी की हत्या कर दी गई थी। उसी की बरसी में शामिल होने वो खजुरी गांव जाना चाहते थे। हालाँकि स्थानीय पुलिस और मेरठ पुलिस ने उन्हें डासना मंदिर में ही रोक दिया। इससे वो बरसी के कार्यक्रम में नहीं जा पाए। इसको लेकर उन्होंने अपने खून से एक शिकायत पत्र सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ को लिखा था। वो पैदल यात्रा करके गाजियाबाद से लखनऊ सीएम योगी आदित्यनाथ को खून से लिखा पत्र सौंपने जाना चाहते थे। मगर, सुरक्षा कारणों का हवाला देकर पुलिस ने उन्हें इस बार भी रोक दिया।

नरसिंहानंद ने आरोप लगाया कि उनके शिष्य यति निर्भयानंद, यति रणसिंहानंद, यति असीमानंद और यति सत्यानंद को जबरदस्ती रोककर पुलिस ने जेल में डालने की धमकी दी। पुलिस अधिकारियों ने शिवशक्ति धाम में बुलडोजर चलाकर उजाड़ने को कहा। पुलिस अधिकारियों ने महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज को आशाराम बापू और राम रहीम बनाने की धमकी दी।

पुलिस की कार्रवाई से आक्रोशित हुए महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी ने कहा कि उन्हें मारा या जेल में बंद किया जा सकता है, लेकिन उनकी आवाज को दबाया और उन्हें झुकाया नहीं जा सकता। उन्होंने बताया कि पुलिस की उत्पीड़नात्मक कार्रवाई के बारे में बताने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम खून से पत्र लिखा था, लेकिन पुलिस ने ले जाने नहीं दिया। वहीं पुलिस ने आरोपों को निराधार बताया है।

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