अयोध्या। उत्तर प्रदेश के अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण तेजी से चल रहा है। अगले साल दिसंबर माह तक मंदिर के निर्माण कार्य को पूरा कर लिया जाएगा। पहले चरण के निर्माण कार्य को अगले साल तक पूरा कर लिया जाएगा। अयोध्या में भगवान राम के भक्त अगले साल 26 जनवरी से पहले राम मंदिर में पूजा अर्चना कर सकेंगे। अगर मंदिर 12 घंटे के लिए खुलता है तो करीबन 75 हजार भक्तों को दर्शन का मौका मिलेगा।
अयोध्या राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने बताया कि हमारा वर्तमान अनुमान है कि लगभग 12 घंटे की अवधि में लगभग 70,000-75,000 लोग जा सकेंगे।। यदि मंदिर 12 घंटे के लिए खुला रहता है लगभग 75,000 लोग आसानी से दर्शन कर सकेंगे। यानी मोटे तौर पर एक भक्त भगवान के सामने लगभग एक मिनट तक खड़ा रह सकेगा, उससे ज्यादा नहीं। अगर 1.25 लाख की भीड़ होती है, जिसकी हम शुरुआती दिनों में उम्मीद कर रहे हैं तो दर्शन की अवधि घटाकर लगभग 20 सेकंड कर दी जाएगी।’
नृपेंद्र मिश्रा ने बताया कि लोग यह जानना चाहते हैं कि मंदिर निर्माण कब पूरा होगा, उनका सपना पूरा हो गया है। मंदिर अब हकीकत है। मंदिर दो चरणों में पूरा होगा। पहला चरण दिसंबर 2023 में और दूसरा चरण दिसंबर 2024 में पूरा हो जाएगा। पहले चरण में ग्राउंड फ्लोर को तैयार किया जाएगा जोकि 2.6 एकड़ में फैला है। यहां पांच मंडप हैं, मुख्य मंदिर में मूर्ति को स्थापित किया जाएगा। ग्राउंड फ्लोर पर 160 पिलर हैं।
उन्होंने कहा कि वर्तमान अयोध्या शहर में अपेक्षित आगंतुकों की भारी संख्या और इसकी बढ़ती आबादी को संभालने के लिए सुसज्जित नहीं है। उन्होंने कहा कि अयोध्या की वर्तमान जनसंख्या लगभग 3.5 लाख है और अनुमान है कि मंदिर के उद्घाटन के बाद आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि के बाद आगंतुकों और अन्य लोगों के रूप में पांच लाख लोग और जुड़ जाएंगे। उन्होंने कहा कि यह आबादी चुनौती भी है और अवसर भी है। स्थानीय लोग आगंतुकों को किफायती दरों पर अपने घरों में आवास प्रदान कर सकते हैं। यह सच है कि इस क्षेत्र का विस्तार करने की जरूरत है।
नृपेंद्र मिश्रा कहा कि राज्य सरकार को क्षेत्रों के विस्तार के लिए उचित कदम उठाने की आवश्यकता होगी, जिसमें अयोध्या के आसपास के क्षेत्रों को नामित करना और अनधिकृत निर्माण को रोकना शामिल है। यह पूछे जाने पर कि क्या ट्रस्ट देश के विभिन्न हिस्सों में भगवान राम से जुड़े अन्य स्थानों का भी विकास कर सकता है मिश्रा ने कहा कि ट्रस्ट की फिलहाल ऐसी कोई योजना नहीं है।
उन्होंने स्वीकार किया कि नवीकरण की मांग बिहार के बक्सर और छत्तीसगढ़ के बस्तर जैसे स्थानों और यहां तक कि नेपाल से भी आई है। उन्होंने कहा कि ट्रस्ट का मानना है कि उसे इस तरह से विस्तार कार्यक्रम नहीं शुरू करना चाहिए, बल्कि इसे स्थानीय लोगों पर छोड़ देना चाहिए। उन्होंने राम मंदिर निर्माण के दौरान उठे भूमि विवादों को भी खारिज किया और दावा किया कि अब कोई विवाद नहीं है। ट्रस्ट को नजूल भूमि के रूप में जानी जाने वाली विवादित भूमि के कारण आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। नज़ूल भूमि उसे कहते हैं जिस पर किसी का मालिकाना हक नहीं होता।
‘ट्रस्ट में सरकार का पैसा नहीं’
नृपेंद्र मिश्रा ने आगे बताया, ”पीएम मोदी स्वभाव से सभी परियोजनाओं की जिम्मेदारी उन लोगों को सौंपते हैं जिन्हें काम करना होता है। इसलिए इस मंदिर को ट्रस्ट को सौंपा गया था। ट्रस्ट का गठन इसी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत किया गया है। इस ट्रस्ट में कोई सरकार नहीं है। इस ट्रस्ट में कोई सरकारी पैसा नहीं है। इन 71 एकड़ के क्षेत्र में यूपी सरकार या केंद्र सरकार के खजाने से एक पाई भी खर्च नहीं की जाएगी। यह सब जनता से आ रहा है। यह सब उन लाखों लोगों की ओर से है जिन्होंने इस मंदिर के लिए दान के रूप में भाग लिया और धन का योगदान दिया। प्रधानमंत्री प्रगति जानने में रुचि रखते हैं और वह यह जानने के लिए बेहद सचेत हैं कि क्या मंदिर के निर्माण में कोई समस्या तो नहीं है। जैसा कि जहां तक काम की बात है तो यह काम ट्रस्ट को ही दिया गया है और ट्रस्ट ही यह काम कर रहा है।”