इंदौर। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और सांसद कैलाश विजयवर्गीय को आगामी विधानसभा चुनाव के लिए इंदौर की विधानसभा क्षेत्र क्रमांक-1 से से टिकट मिला है। कैलाश विजयवर्गीय ने अपनी पहली ही सभा में उन्होंने यह कहकर सबको चौंका दिया कि वे चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे। वे अंदर से खुश नहीं हैं। वे अब जनता के हाथ नहीं जोड़ना चाहते।
इंदौर में बड़ा गणपति मंदिर में दर्शन करने के बाद कार्यकर्ताओं से चर्चा में उन्होंने कहा कि ‘मेरी चुनाव लड़ने की एक प्रतिशत भी इच्छा नहीं थी। मैं तो एक दिन में आठ सभाओं की तैयारी कर रहा था। 5 हेलिकॉप्टर से तीन कार से पहुंच सकूं, ऐसी जगह जाने की तैयारी में था।’ उन्होंने कहा कि सच कह रहा हूं, मैं अंदर से खुश नहीं हूं, इसलिए कि मेरी चुनाव लड़ने की इच्छा ही नहीं थी। चुनाव लड़ने का एक माइंड सेट होता है। अपने को तो जाना है भाषण देना है। बड़े नेता हो गए अब तो अपन। हाथ जोड़ने कहां जाएं। भाषण देना और निकल जाना। मैंने तो यही सोचा था। प्लान भी ऐसा ही बनाया था कि रोज 8 सभा करनी है। 5 हेलिकॉप्टर से और 3 कार से। मुझे अभी भी विश्वास नहीं हो रहा है कि मैं उम्मीदवार हूं। मुझे लग ही नहीं रहा है कि मुझे टिकट मिल गया है।
पार्टी की उम्मीदों को पूरा करने की कोशिश करूंगा
मीडिया से बात करते हुए कैलाश विजयवर्गीय ने कहा है कि ‘मैं चुनाव नहीं लड़ना चाहता, लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का निर्देश मुझे परसों मिल गया था। मैं असमंजस में था। एकदम अचानक मेरे नाम की घोषणा कर दी तो मैं आश्चर्यचकित रह गया। हालांकि यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है, पार्टी ने मुझे चुनाव लड़ने के लिए भेजा है। मैं पार्टी का सिपाही हूं। मैं पार्टी की उम्मीदों को पूरा करने की कोशिश करूंगा।’
क्या बेटे का कॅरियर खत्म होने से दुःखी हैं कैलाश?
राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि कैलाश राष्ट्रीय राजनीति में जाने के बाद बड़े पद की आस में थे। यह बात खुद उन्होंने मंच से भी कही कि वे अब बड़े नेता हैं। चुनाव नहीं लड़ना चाहते। पिछले विधानसभा चुनाव में बेटे आकाश विजयवर्गीय को विधायक बनाने के लिए उन्होंने पूरी ताकत लगाई। आकाश के पांच साल के कार्यकाल के दौरान भी वे हर वक्त बेटे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे। कई मुश्किलों से उसे बचाया। आकाश खुद इस बार भी पूरे दम-खम से टिकट की दावेदारी कर रहे थे। चूंकि, कैलाश को भाजपा ने टिकट दिया है तो यह लगभग तय है कि बेटे को टिकट नहीं मिलेगा। इससे कैलाश दुःखी हैं। बेटे के राजनीतिक कॅरियर को लेकर पशोपेश में हैं। टिकट मिलने के बाद दिए गए साक्षात्कारों में भी कैलाश ने बेटे के राजनीतिक भविष्य पर चिंता जताई है।