अमेठी। भाजपा सांसद वरुण गांधी ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश सरकार से अमेठी में संजय गांधी अस्पताल के लाइसेंस को निलंबित करने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि पूरी जांच के बिना निलंबन एक घोर अन्याय है। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में लोग प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए अस्पताल पर निर्भर हैं। सासंद वरुण गांधी ने भी संजय गांधी अस्पताल का लाइसेंस बहाल करने के लिए डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक को पत्र लिखा है।
वरुण गांधी ने पत्र में लिखा है कि मैं यह पत्र आपको हाल ही में उत्तर प्रदेश के अमेठी में संजय गांधी अस्पताल के परिचालन लाइसेंस के निलंबन के संबंध में गहरी चिंता के साथ लिख रहा हूं। इस अस्पताल का शिलान्यास पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1982 में किया था। यह कई दशकों तक अमेठी और इसके पड़ोसी जिलों में लोगों के लिए स्वास्थ्य देखभाल सहायता के एक दृढ़ स्तंभ के रूप में खड़ा रहा है। यह संस्थान वर्षों से कार्डियोलॉजी, नेफ्रोलॉजी, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, ऑर्थोपेडिक्स सामान्य सर्जरी और स्त्री रोग सहित विभिन्न क्षेत्रों में आवश्यक और बेहतर चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने के लिहाज से महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है। इसके लाइसेंस को निलंबित करने के निर्णय का क्षेत्र की स्वास्थ्य देखभाल पहुंच, रोजगार और शिक्षा पर दूरगामी असर पड़ेगा। इस बात पर जोर देना जरूरी है कि प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए सैकड़ों लोग संजय गांधी अस्पताल पर निर्भर हैं। अमेठी और इसके आसपास के जिलों से यहां हर दिन सैकड़ों लोग परामर्श, निदान और उपचार के लिए आते हैं। अस्पताल के लाइसेंस निलंबन से क्षेत्र के स्वास्थ्य सेवा परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण शून्य पैदा हो जाएगा, जिसका हमारे नागरिकों की भलाई पर गहरा प्रभाव पड़ेगा
अपनी महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं के साथ यह अस्पताल एक महत्वपूर्ण नियोक्ता के रूप में भी कार्य करता रहा है। इस संस्थान से करीब 450 समर्पित कर्मचारियों के साथ हजारों अन्य लोग जुड़े हैं। इन सबकी आजीविका इस संस्थान के निरंतर संचालन पर निर्भर करती है। संस्थान के लाइसेंस निलंबन से न केवल स्वास्थ्य सेवा पहुंच खतरे में पड़ गई है, बल्कि इससे जुड़े लोगों और उनके परिवारों के जीवन और आजीविका पर भी संकट आ गया है।
इसके अलावा यह अस्पताल सालाना 600 नर्सिंग और 200 पैरामेडिक छात्रों को प्रशिक्षण देकर स्वास्थ्य देखभाल शिक्षा में सराहनीय भूमिका निभाता है। स्पष्टीकरण का कोई अवसर दिए बिना अस्पताल के लाइसेंस को एकतरफा तौर निलंबित करना चिंता पैदा करता है, क्योंकि यह निर्णय स्वास्थ्य देखभाल पहुंच, आजीविका और शैक्षिक निरंतरता को प्रभावित करता है।
कथित चिकित्सीय लापरवाही से जुड़ी हालिया घटना की गंभीरता को स्वीकार करते हुए इस मामले को आनुपातिकता और निष्पक्षता की भावना से देखना आवश्यक है। स्वामित्व जैसे मुद्दे की अनदेखी के साथ किसी भी स्वास्थ्य सुविधा में दुखद घटनाएं सामने आ सकती हैं। व्यापक और निष्पक्ष जांच की अनुमति दिए बिना पूरे अस्पताल का लाइसेंस निलंबित करना जल्दबाजी और संभावित अन्यायपूर्ण कार्रवाई प्रतीत होती है। एक विस्तृत मूल कारण विश्लेषण (आरसीए) के साथ उसके निष्कर्षों को किसी अन्य दूसरी घटना को रोकने के लिए पूरे अस्पताल पर लागू करना अनुचित होगा।
मैं आपसे निलंबन के फैसले पर पुनर्विचार करने, निष्पक्ष जांच शुरू करने और यह सुनिश्चित करने का अनुरोध करता हूं, ताकि यह अस्पताल नौकरियों और शैक्षिक अवसरों की सुरक्षा के साथ समाज के लोगों को महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना जारी रख सके। ऐसा करके हम सामूहिक रूप से न्याय, निष्पक्षता और उन लोगों की समग्र भलाई को प्राथमिकता दे सकते हैं, जो अपनी स्वास्थ्य देखभाल आवश्यकताओं के लिए इस पर निर्भर हैं। साथ ही इससे संजय गांधी अस्पताल की प्रतिष्ठित ऐतिहासिक विरासत का भी संरक्षण होगा।
क्या था मामला
14 सिंतबर को पथरी के ऑपरेशन कराने के लिए अनुज शुक्ला ने पत्नी दिव्या शुक्ला को अमेठी पीजीआई में भर्ती कराया था। 15 सितंबर को ऑपरेशन के लिए एनेस्थीसिया देना था, लेकिन ओवरडोज देने की वजह से पत्नी कोमा में चली गई थी। 16 सितंबर को घरवाले उसको लखनऊ के मेदांता लेकर पहुंचे थे। जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था। इस मामले में मुंशीगंज थाने में अस्पताल के सीईओ समेत तीन डॉक्टरों पर मुकदमा दर्ज हुआ था। स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने संज्ञान लेते हुए कड़ी कार्रवाई का आदेश दिया था। जांच में अस्पताल प्रशासन दोषी पाया गया था। इसके बाद ब्रजेश पाठक ने अस्पताल का लाइसेंस निलंबित कर दिया था।
इस संबंध में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय में मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र में कांग्रेस अध्यक्ष ने पूर्व मंत्री अजय राय ने कहा कि मरीज की मौत मामले की कमेटी बनाकर जांच कराई जाए। लेकिन अस्पताल में मरीजों का उपचार नहीं रोका जाना चाहिए। उन्होंने अस्पताल के पंजीकरण के निरस्तीकरण आदेश को तत्काल वापस लेने की मांग की है। बताया कि अस्पताल कई दशक से स्थानीय और आसपास के जनपदों के लोगों को न्यूनतम शुल्क पर बिना लाभ के स्वास्थ्य सुविधाएं दे रहा है।