मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट को झटका, वैज्ञानिक सर्वे की मांग की याचिका खारिज

मथुरा। सुप्रीम कोर्ट ने मथुरा की श्रीकृष्ण जन्मभूमि में वैज्ञानिक सर्वेक्षण की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। याचिका में शाही ईदगाह मस्जिद का वैज्ञानिक सर्वेक्षण कराने का निर्देश देने की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से मस्जिद के सर्वेक्षण पर फैसला लेने को कहा।

मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी के विवाद में एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई थी। श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट की ओर से दाखिल इस याचिका में ज्ञानवापी की तर्ज पर श्रीकृष्ण जन्मभूमि के वैज्ञानिक सर्वे की मांग रखी गई थी। श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट के अध्यक्ष आशुतोष पांडेय निवासी गोविंद नगर, मथुरा की ओर से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता सार्थक चतुर्वेदी ने याचिका पेश की थी। इसमें विवादित भूमि की पहचान, स्थान और माप की स्थानीय जांच की मांग की गई थी। इसमें दोनों पक्षों द्वारा किए गए दावों को प्रमाणित करने के लिए एक वैज्ञानिक सर्वे की आवश्यकता जताई गई थी।

ट्रस्ट की ओर से पेश हुए गौरव भाटिया
वरिष्ठ अधिवक्ता और भारतीय जनता पार्टी नेता गौरव भाटिया ट्रस्ट की ओर से पेश हुए। न्यायालय ने हाल ही में राय दी थी कि यह सभी हितधारकों के हित में होगा यदि कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद सिविल मुकदमे की सुनवाई इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा की जाए। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय को अभी भी नागरिक प्रक्रिया संहिता के आदेश 26 नियम 11 के तहत आवेदन पर फैसला करना बाकी है जो आयुक्तों की नियुक्ति से संबंधित है।

गौरतलब है कि 26 मई को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा था कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद से संबंधित सभी मामले जो मथुरा अदालत में लंबित हैं, उन्हें ट्रांसफर किया जा सकता है। न्यायमूर्ति अरविंद कुमार मिश्रा ने भगवान श्रीकृष्ण विराजमान द्वारा कटरा केशव देव खेवट मथुरा (देवता) में अगली सखी रंजना अग्निहोत्री और सात अन्य के माध्यम से दायर ट्रांसफर आवेदन को अनुमति देते हुए आदेश पारित किया था।

ट्रस्ट ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दलील दी कि साइट पर किए गए दावों की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए एक कमिश्नर के नेतृत्व में वैज्ञानिक सर्वेक्षण आवश्यक है। ट्रस्ट ने कहा कि इसके अलावा मुस्लिम पक्ष उस स्थान पर नमाज अदा कर रहा है, परिसर का उपयोग शौचालय के रूप में कर रहा है और पवित्र माने जाने वाले स्थान या पूजा स्थल पर ‘उपद्रव पैदा’ कर रहा है।

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