नई दिल्ली। महिला आरक्षण बिल राज्यसभा में पास हो गया है। महिला आरक्षण बिल के दोनों सदनों से पास होने पर राज्यसभा के बाहर जश्न का माहौल देखा गया। महिला सांसदों के चेहरे खिले नजर आए और जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदन से बाहर निकले तो महिला सांसदों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। पहले पीएम को बुके दिए और फिर स्टॉल पहनाकर स्वागत भी किया। पीएम ने झुककर सभी का अभिनंदन किया और विक्ट्री साइन दिखाया।
लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण के प्रावधान वाला 128वां संविधान संशोधन विधेयक गुरुवार को राज्यसभा में भी पास हो गया। बिल के पक्ष में 214 वोट पड़े, जबकि किसी ने भी बिल के खिलाफ वोट नहीं डाला। विशेष सत्र के तीसरे दिन यानि बुधवार को विधेयक को लोकसभा से मंजूरी मिल गई थी। लोकसभा ने भी इस बिल को दो तिहाई बहुमत के साथ पास किया था। इसके पक्ष में 454 और विरोध में दो वोट पड़े थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा से महिला आरक्षण बिल पास होने पर ट्वीट किया। पीएम ने लिखा, हमारे देश की लोकतांत्रिक यात्रा में एक निर्णायक क्षण! 140 करोड़ भारतीयों को बधाई। मैं उन सभी राज्यसभा सांसदों को धन्यवाद देता हूं जिन्होंने नारी शक्ति वंदन अधिनियम के लिए वोट किया। इस तरह का सर्वसम्मत समर्थन वास्तव में ख़ुशी देने वाला है।
उन्होंने कहा कि संसद में नारी शक्ति वंदन अधिनियम के पारित होने के साथ, हम भारत की महिलाओं के लिए मजबूत प्रतिनिधित्व और सशक्तिकरण के युग की शुरुआत करते हैं। यह महज एक विधान नहीं है, यह उन अनगिनत महिलाओं को श्रद्धांजलि है जिन्होंने हमारे देश को बनाया है. भारत उनके लचीलेपन और योगदान से समृद्ध हुआ है। पीएम ने आगे लिखा, जैसा कि हम आज मनाते हैं, हमें अपने देश की सभी महिलाओं की ताकत, साहस और अदम्य भावना की याद आती है। यह ऐतिहासिक कदम यह सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता है कि उनकी आवाज़ को और भी अधिक प्रभावी ढंग से सुना जाए।
महिला सांसदों ने किया संचालन
महिला आरक्षण विधेयक पर चर्चा के दौरान महिला सांसदों ने सदन का संचालन किया। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने पीटी उषा, जया बच्चन (सपा), फौजिया खान (राकांपा), डोला सेन (तृणमूल कांग्रेस) और कनिमोई एनवीएन सोमू (द्रमुक) सहित कई महिला सांसदों को उपाध्यक्ष नियुक्त किया। इन महिला सांसदों ने चर्चा के दौरान बारी-बारी से सदन की कार्यवाही का संचालन किया। राज्यसभा में विधेयक पर चर्चा के लिए साढ़े सात घंटे का समय दिया गया था साथ ही भोजनावकाश का समय समाप्त कर दिया गया था।
1996 के बाद से सातवां प्रयास
इस विधेयक को विधानसभाओं के बहुमत की मंजूरी की भी आवश्यकता होगी। जनगणना के आंकड़ों के आधार पर परिसीमन की कवायद पूरी होने के बाद इसे लागू किया जाएगा। महिला आरक्षण विधेयक को पारित कराने के लिए 1996 के बाद से यह सातवां प्रयास है। वर्तमान में भारत के 95 करोड़ पंजीकृत मतदाताओं में लगभग आधी महिलाएं हैं, लेकिन संसद में महिला सदस्यों केवल 15 प्रतिशत हैं जबकि विधानसभाओं में यह आंकड़ा 10 प्रतिशत है। महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण संसद के ऊपरी सदन और राज्य विधान परिषदों में लागू नहीं होगा।
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