जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में मुठभेड़ में कर्नल समेत 3 अफसर शहीद

श्रीनगर। जम्मू कश्मीर के अनंतनाग में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में सेना के एक कर्नल सहित सुरक्षा बल के तीन अधिकारी शहीद हो गए। आतंकी हमले में कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष, जम्मू कश्मीर पुलिस के डीएसपी हुमायूं भट गोलीबारी में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।

कश्मीर में यह पिछले तीन साल में हुआ सबसे बड़ा आतंकी हमला है, जिसमें इतने बड़े अफसरों की शहादत हुई है। सर्च ऑपरेशन के दौरान आतंकियों ने सुरक्षाबलों पर गोलीबारी कर दी। हालांकि मुठभेड़ दूसरे दिन भी जारी है। हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े प्रतिबंधित संगठन रेजिस्टेंट फ्रंट ने ली है। पुलिस ने कहा है कि अनंतनाग में लश्कर के 2 आतंकी छिपे हैं, जिन्हें सेना ने घेर लिया है। इनमें से एक नागम कोकरनाग का रहने वाला उजैर खान है। उजैर, पिछले साल जुलाई में लश्कर से जुड़ा था।

शहीद DSP हुमायूं भट को सुपुर्द-ए-खाक किया गया
जम्मू-कश्मीर पुलिस के शहीद DSP हुमायूं भट को बुधवार रात बड़गाम जिले में सुपुर्द-ए-खाक किया गया। इससे पहले जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और DGP दिलबाग सिंह ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। हुमायूं दक्षिण कश्मीर के त्राल के रहने वाले थे। उनकी पिछले साल ही शादी हुई थी। उनका 2 महीने का बेटा है।

शहीद कर्नल मनप्रीत सिंह मूल रूप से पंजाब के मोहाली के न्यू चंडीगढ़ के भरऊजान गांव के रहने वाले हैं फिलहाल उनका परिवार हरियाणा के पंचकूला के सेक्टर 26 में रहता है। मनप्रीत सिंह 2003 में NDA में कमिशन हुए थे। 2005 में ट्रेनिंग पूरी करके वह सेना में शामिल हुए वहीं उनकी पत्नी हरियाणा के पंचकूला के मोरनी के सरकारी स्कूल में लेक्चरर हैं। इनका एक सात साल का बेटा और डेढ़ साल की बेटी है। पिता भी सेना से सिपाही रिटायर हुए थे और बाद में चंडीगढ़ स्थित पंजाब यूनिवर्सिटी में सिक्योरिटी गार्ड भर्ती हुए। उनकी नेचुरल डेथ के बाद छोटे बेटे संदीप को क्लर्क की नौकरी कंपन्सेट्री ग्राउंड पर मिली।

भारतीय सेना के कई अभियानों का नेतृत्व
दरअसल मनप्रीत सिंह साल 2003 में सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल बने थे। इसके बाद 2005 में उन्हें कर्नल के पद पर प्रमोट कर दिया गया था। मनप्रीत सिंह ने देश के दुश्मनों के खिलाफ चलाए गए भारतीय सेना के कई अभियानों का जमकर नेतृत्व किया। कर्नल मनप्रीत सिंह की तैनाकी साल 2019 से 2021 तक सेना में सेकंड इन कमांड के तौर पर थी। बाद में उन्होंने कमांडिंग अफसर के रूप में काम किया।

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