नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने यूरोप दौरे के तीसरे दिन पेरिस की साइंसेज पो यूनिवर्सिटी में छात्रों को संबोधित किया। राहुल ने कहा कि सरकार हमारे I.N.D.I.A गठबंधन के नाम से चिढ़ गई है। इसी वजह से देश का नाम बदलना चाहती है। मैंने गीता पढ़ी है। उपनिषद पढ़े हैं और कई हिंदू किताबें भी पढ़ी हैं। इस आधार पर मैं कह सकता हूं कि भाजपा जो करती है उसमें हिंदू (धर्म जैसा) कुछ भी नहीं है।
फ्रांस के अग्रणी सामाजिक विज्ञान संस्थान, पेरिस की ‘साइंसेज पीओ यूनिवर्सिटी’ में शनिवार को बातचीत के दौरान गांधी (53) ने अपनी ‘भारत जोड़ो यात्रा’, विपक्षी दलों के गठबंधन द्वारा भारत के लोकतांत्रिक ढांचों को बचाने की लड़ाई, बदलती वैश्विक व्यवस्था और अन्य प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि विपक्षी ”भारत की आत्मा” के लिए लड़ने को लेकर प्रतिबद्ध है और देश मौजूदा ”उथल-पुथल” से ”सकुशल बाहर आ जाएगा।” बातचीत के दौरान देश में ”हिंदू राष्ट्रवाद” के उभार के बारे में एक सवाल पर गांधी ने कहा, ”मैंने गीता पढ़ी है, कई उपनिषद पढ़े हैं, मैंने कई हिंदू (धर्म से जुड़ी) किताबें पढ़ी हैं; भाजपा जो करती है उसमें हिंदू (धर्म जैसा) कुछ भी नहीं है, बिल्कुल भी नहीं।”
इस बाचतीत का एक वीडियो रविवार को जारी किया गया। कांग्रेस नेता ने कहा, ”मैंने हिंदू धर्म से जुड़ी किसी किताब में नहीं पढ़ा और ना ही किसी विद्वान हिंदू व्यक्ति से यह सुना कि आपको अपने से कमजोर लोगों को आतंकित करना चाहिए, उन्हें नुकसान पहुंचाना चाहिए। तो, ये विचार, ये शब्द, हिंदू राष्ट्रवाद, ये गलत शब्द है।” राहुल गांधी ने कहा, ”वे हिंदू राष्ट्रवादी नहीं हैं। उनका हिंदू धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। वे किसी भी कीमत पर सत्ता हासिल करना चाहते हैं और वे सत्ता पाने के लिए कुछ भी करेंगे…वे कुछ लोगों का प्रभुत्व चाहते हैं…उनमें हिंदू (धर्म जैसा) कुछ भी नहीं है।” देश में दलित और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हिंसा के मामलों के बारे में पूछे जाने पर गांधी ने कहा कि इस मुद्दे से निपटने के लिए ”राजनीतिक कल्पनाशीलता” की आवश्यकता है और विपक्षी दल उस लड़ाई के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा, ”भाजपा और आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) जो करने की कोशिश कर रहे हैं, उसका मूल उद्देश्य निचली जातियों, अन्य पिछड़ी जातियों, आदिवासियों और अल्पसंख्यक समुदायों की अभिव्यक्ति, भागीदारी को रोकना है। और, मेरे लिए, वह भारत जहां किसी दलित व्यक्ति या मुस्लिम व्यक्ति, आदिवासी व्यक्ति, उच्च जाति के व्यक्ति, किसी के भी साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा है, उस पर हमला किया जा रहा है, यह वह भारत नहीं है जो मैं चाहता हूं।”
यूरोप का दौरा कर रहे राहुल गांधी ने कहा, ”अगर कल सुबह प्रधानमंत्री यह फैसला कर लें कि भारत में कोई अहंकारपूर्ण आचरण या कोई हिंसा नहीं करेगा, तो यह रुक जाएगा। यह वह दिशा है जो देश का नेतृत्व देती है, देश का नेतृत्व जो विचार देता है वह लोगों को आकार देता है।” उन्होंने कहा, ”अभी भावना यह है कि आप जो चाहें कर सकते हैं और आपको कुछ नहीं होने वाला है…यह भारत की आत्मा पर हमला है और ऐसा करने वाले लोगों को इसकी कीमत चुकानी होगी।” कांग्रेस नेता ने अपने खिलाफ 24 कानूनी मामलों की ओर इशारा करते हुए कहा कि यह भी ”भारतीय इतिहास में पहली बार” हुआ कि किसी को आपराधिक मानहानि के लिए अधिकतम सजा दी गई। लेकिन उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत के लोकतांत्रिक ढांचे को बनाए रखने की लड़ाई ”जारी है और बहुत जीवंत” है।