कितनी बार यह मुद्दा उठाया जाएगा….. EVM-वीवीपैट वाली याचिका पर तत्काल सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) के जरिए डाले गए सभी वोटों को वीवीपैट पेपर ट्रेल्स के साथ सत्यापित करने की याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि ऐसी याचिकाएं हर साल भारत के चुनाव आयोग समान मुद्दों को उठाते हुए दायर की जाती हैं।

जस्टिस संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की बेंच ने एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, ”हम इस मामले को नवंबर में सूचीबद्ध करेंगे। हम कितनी बार इस मुद्दे से निपटते हैं। इस आधार पर हर साल एक नई याचिका दायर की जाती है। इसके अलावा और भी जरूरी मामले हैं। यह कोई आपराधिक मामला नहीं है।” सुनवाई के दौरान एनजीओ की तरफ से पेश वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि चूंकि चुनाव नजदीक आ रहे हैं, इसलिए इसकी तत्काल आवश्यकता है। इस पर पीठ ने कहा, “प्रशांत भूषण जी, यह मुद्दा कितनी बार उठाया जाएगा? इसमें कोई शीघ्रता नहीं है। इसे उचित समय पर आने दीजिए…।” पीठ ने कहा, ”प्रशांत भूषण ने अनुरोध किया है और उन्हें प्रत्युत्तर हलफनामा दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया जाता है। याचिका को नवंबर में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करें।”

एडीआर का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील प्रशांत भूषण ने अदालत को बताया कि पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव इस साल के अंत तक होने वाले हैं और उन्होंने जल्द तारीख की मांग की। उन्होंने कहा, ”इस याचिका को निरर्थक मत बनाइए। यह मुद्दा लोकतंत्र की जड़ तक जाता है।” पीठ ने भूषण से कहा, ”चुनाव आयोग ने एक हलफनामा दायर किया है जहां उसने कहा है कि सभी संभावित त्रुटियों को ठीक कर लिया गया है। हम उचित समय पर इस पर विचार करेंगे। यदि कोई प्रभावी आदेश पारित किया जाना है, तो यह भविष्य के चुनावों पर लागू होगा।

एडीआर ने मतदाताओं की संतुष्टि के लिए संबंधित मतदाता सत्यापन योग्य पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) के साथ सभी ईवीएम वोटों के क्रॉस-सत्यापन की मांग की थी। इसका चुनाव आयोग ने विरोध किया, जिसने 124 पन्नों का एक विस्तृत हलफनामा दाखिल किया, जिसमें दिखाया गया कि कैसे अतीत में, वीवीपैट पर्चियों के सत्यापन को बढ़ाने की मांग करते हुए शीर्ष अदालत के समक्ष याचिकाएं दायर की गईं। आयोग ने कहा, ”आज तक वीवीपैट पर्ची की गिनती में कोई गड़बड़ी नहीं देखी गई है। यह याचिका (एडीआर द्वारा) एक ऐसे समाधान खोजने की प्रकृति की प्रतीत होती है जहां कोई समस्या मौजूद नहीं है।”

रक्त प्राप्तकर्ता को आश्वस्त करना जरूरी कि उसे चढ़ाया गया रक्त साफ है
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रक्त प्राप्तकर्ता को आश्वस्त किया जाना चाहिए कि उसे जो रक्त चढ़ाया जा रहा है वह साफ है। शीर्ष अदालत ट्रांसजेंडरों, पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुषों और महिला यौनकर्मियों को रक्त दाताओं से बाहर करने वाले 2017 के दिशा-निर्देशों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा कि वह याचिका पर नोटिस जारी नहीं कर रही है और इसे इस मुद्दे को उठाने वाली एक अन्य लंबित याचिका के साथ टैग कर दिया।

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