लैंडर से बाहर आया प्रज्ञान रोवर, ISRO ने जारी किया वीडियो

नई दिल्ली। चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने के बाद अब अपना आगे का काम शुरू कर दिया है। चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम से प्रज्ञान रोवर बाहर आ चुका है। ISRO ने प्रज्ञान रोवर का बाहर निकलते हुए एक वीडियो सोशल मीडिया वेबसाइट X पर शेयर किया है।

विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर दोनों मिलकर चंद्रमा की सतह पर साइंटिफिक एक्सपेरिमेंट करेंगे। प्रज्ञान रोवर में लगे दो पेलोड्स चंद्रमा की सतह पर पानी ढूंढ़ने के साथ-साथ कई प्रकार के एक्सपेरिमेंट भी करेगा। प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर 1 सेमी प्रति सेकंड की रफ्तार से घूमेगा। प्रज्ञान रोवर चन्द्रमा की सतह पर विक्रम लैंडर से 500 मीटर की रेंज में ही घूम सकेगा। प्रज्ञान रोवर में कुल 6 पहिये हैं और रोवर के आखिरी दो पहियों में ISRO और भारत का राष्ट्रीय चिन्ह लगा हुआ है। भारत का रोवर प्रज्ञान, जिसका संस्कृत में अर्थ है ज्ञान, लैंडर से बाहर निकला और एक रैंप से नीचे चला गया। ISRO ने ट्वीट कर बताया कि रोवर ने चांद पर चहलकदमी भी की। छह पहियों वाला रोवर इलाके का सर्वे करने और तस्वीरों को पृथ्वी पर भेजने के लिए अपने नेविगेशन कैमरों का इस्तेमाल करेगा। इसके बाद ISRO रोवर को निर्देश भेजेगा।

चांद की सतह पर प्रज्ञान लेजर प्रेरित ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (LIBS) चंद्र सतह की रासायनिक और खनिज संरचना की जांच करेगा। रोवर ही चंद्रमा की सतह पर पानी भी खोजेगा। वहीं अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (APEX) चंद्रमा की मिट्टी और चट्टानों में मैग्नीशियम, एल्यूमीनियम, सिलिकॉन, पोटेशियम, कैल्शियम, टाइटेनियम और लौह जैसे तत्वों का पता लगाने का काम करेगा। प्रज्ञान रोवर में लगी सोलर प्लेट प्रज्ञान को चांद के सतह पर घूमने के लिए ऊर्जा प्रदान करता है। प्रज्ञान रोवर में लगे आधुनिक सेंसर चन्द्रमा की सतह से भोगौलिक और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी इकठ्ठा करके ISRO को भेजेंगे।

कब तक काम करेंगे लैंडर और रोवर?
लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान का कुल वजन 1,752 किलो है। इन्हें चंद्रमा के वातावरण के अध्ययन के उद्देश्य से एक चंद्र दिवस अवधि (करीब 14 पृथ्वी दिवस) तक संचालन के लिए डिजाइन किया गया है। ISRO के अधिकारियों ने हालांकि इसके अगले चंद्र दिवस तक काम करते रहने की संभावना से इनकार नहीं किया है।

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