लंदन। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने मंगलवार को कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में आयोजित रामकथा में हिस्सा लिया। यह रामकथा आध्यात्मिक गुरु मोरारी बापू ने सुनाई। इस मौके पर ऋषि सुनक ने कहा कि यहां पर वह ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के रूप में नहीं, बल्कि एक हिंदू के रूप में आए हैं।
भारत के स्वतंत्रता दिवस के मौके पर यूके की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के जीसस कॉलेज में मोरारी बापू की रामकथा का आयोजन किया गया थ। इसी मौके पर सुनक का वहां पर पहुंचना जैसे ‘सोने पर सुहागा’ हो गया। सुनक ने अपने संबोधन की शुरुआत ‘जय सियाराम’ के साथ की। इसके बाद उन्होंने कहा यहां पर उन्हें आकर काफी अच्छा लग रहा है। सुनक ने कहा, ‘मेरे लिए मेरी आस्था बहुत ही व्यक्तिगत है। यह मुझे मेरे जीवन के हर पल में सही दिशा की तरफ आगे बढ़ाती है। प्रधानमंत्री होना एक बहुत ही सम्मान की बात है लेकिन यह उतना ही कठिन काम भी है। आपको कई फैसले ऐसे लेने पड़ते हैं जो आसान नहीं होते हैं। मुश्किल विकल्पों का सामना करना पड़ता है। मेरा धर्म मुझे हिम्मत और साहस देता है कि मैं देश के लिए ऐसे फैसले ले सकूं जो सर्वश्रेष्ठ साबित हों।’ सुनक ने आगे कहा, ‘मेरे लिए यह बहुत ही खुशी और गर्व का मौका था जब मैंने चांसलर के पद पर रहते हुए 11 डाउनिंग स्ट्रीट पर दिवाली के मौके पर दिए जलाए थे।’
डेस्क पर विराजमान गणेश
सुनक ने बताया कि जिस तरह से मोरारी बापू के पीछे बड़े से सुनहरे हनुमान विराजमान हैं, उसी तरह से 10 डाउनिंग स्ट्रीट पर उनकी डेस्क पर सोने के गणपति रखे हुए हैं। उन्होंने कहा कि यह मुझे अभिनय से पहले मुद्दों को सुनने और उन पर विचार करने के बारे में लगातार याद दिलाता है। सुनक ने कहा कि जब वह बड़े हो रहे थे तो उस समय साउथहैम्पटन में स्थानीय मंदिर में जाने की बहुत अच्छी यादें उनके पास हैं। उन्होंने याद किया कि कैसे उनके माता-पिता और परिवार हवन, पूजा और आरती का आयोजन करते थे। इसके बाद, वह अपने भाई-बहन और चचेरे भाइयों के साथ दोपहर का भोजन और प्रसाद परोसने में मदद करते थे।
भगवान राम से लेते प्रेरणा
उन्होंने कहा कि शायद सबसे बड़ा मूल्य कर्तव्य या सेवा है, जैसा कि हम जानते हैं। ये हिंदू मूल्य कुछ हद तक ब्रिटिश मूल्य भी हैं। सुनक ने कहा कि वह आज यहां से उस ‘रामायण’ को याद कर रहे हैं जिसके बारे में बापू बता रहे हैं और साथ ही ‘भगवद गीता’ और ‘हनुमान चालीसा’ को याद कर रहे हैं। सुनक ने कहा, ‘मेरे लिए भगवान राम हमेशा मेरे जीवन की चुनौतियों का साहस के साथ सामना करने और शासन को विनम्रता और निस्वार्थ भाव से काम करने के लिए एक प्रेरणादायक व्यक्ति रहेंगे।’ उन्होंने ‘जय सिया राम’ के साथ अपना संबोधन समाप्त किया।
सुनक ने साझा किया बचपन का किस्सा
सुनक ने साउथेम्प्टन में अपने बचपन को याद किया। जहां वह अक्सर परिवार के साथ अपने पड़ोस के मंदिर में जाते थे। सुनक ने कहा कि बड़े होते हुए, मुझे साउथेम्प्टन में हमारे स्थानीय मंदिर में जाने की बहुत अच्छी यादें याद हैं। मेरे माता-पिता और परिवार हवन, पूजा, आरती का आयोजन करते थे। उसके बाद, मैं अपने भाई-बहन और चचेरे भाइयों के साथ दोपहर का भोजन और प्रसाद परोसने में मदद करता था।
‘ऋषि सुनक धरती का पुत्र’
आपको बता दें कि ऋषि सुनक, पहले भारतीय मूल के प्रधानमंत्री, जो पंजाबी मूल के हिंदू भी हैं। इनका जन्म और पालन-पोषण साउथेम्प्टन में हुआ था। लेकिन, ब्रिटेन के पहले अश्वेत प्रधानमंत्री के रूप में उनकी नियुक्ति पर भारतीयों ने खुशी जताई है, जो अभी भी उन्हें अपनी धरती का पुत्र मानते हैं।
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