दिल्ली। दिल्ली सेवा विधेयक को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंजूरी दे दी है। इसी के साथ अब यह कानून बन गया है। अब अधिकारियों के तबादले और अनुशासन से संबंधित फैसले सिविल सर्विसेज प्राधिकर लेगा। वहीं विधानसभा सत्र बुलाने के लिए भी दिल्ली सरकार को उपराज्यपाल से मंजूरी लेनी होगी।
भारत सरकार ने नोटिफिकेशन जारी करके राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) कानून 2023 को लागू भी कर दिया है। इस कानून को 19 मई से ही लागू माना जाएगा। इससे पहले सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले को किनारे करने के लिए अध्यादेश लाई थी। सरकार ने सात अगस्त को संसद से दिल्ली सेवा विधेयक पारित हो गया था। राज्यसभा ने 102 के मुकाबले 131 मतों से ‘दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र शासन संशोधन विधेयक 2023’ को मंजूरी दी थी। लोकसभा ने इसे तीन अगस्त को पास कर दिया था।
विधेयक के विरोध में खड़ा था पूरा विपक्ष
बता दें कि इस विधेयक के विरोध में पूरा विपक्ष खड़ा था। अरविंद केजरीवाल ने इस विधेयक को ही 2024 का सेमीफाइनल बताया था। लोकसभा में तो सरकार का बहुमत था इसलिए आसानी से बिल पास हो गया। पेच राज्यसभा में फंसने वाला था जो कि बीजेडी और वाईआरएस कांग्रेस के सरकार के साथ आने से आसान होगा। राज्यसभा में विपक्ष ने हंगामा किया लेकिन गृह मंत्री ने इसे पेश किया और पास भी करवा लिया।
दरअसल, मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुआई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 11 मई को फैसला सुनाते हुए कहा था कि दिल्ली में जमीन, पुलिस और कानून-व्यवस्था को छोड़कर बाकी सारे प्रशासनिक फैसले लेने के लिए दिल्ली की सरकार स्वतंत्र होगी। अधिकारियों और कर्मचारियों का ट्रांसफर-पोस्टिंग भी कर पाएगी। उपराज्यपाल इन तीन मुद्दों को छोड़कर दिल्ली सरकार के बाकी फैसले मानने के लिए बाध्य हैं। इस फैसले से पहले दिल्ली सरकार के सभी अधिकारियों के स्थानांतरण और तैनाती उपराज्यपाल के कार्यकारी नियंत्रण में थे। हालांकि, कोर्ट के फैसले के एक हफ्ते बाद 19 मई को केंद्र सरकार एक अध्यादेश ले आई।
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