नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर जवाब देते हुए कांग्रेस पार्टी पर जमकर प्रहार लिया। इस दौरान उन्होंने राहुल गांधी द्वारा लगाए गए सभी आरोपों का भी जवाब दिया। पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने आजादी के बाद भारत के तीन टुकड़े कर दिए। पीएम ने अपने संबोधन में कच्चथीवू द्वीप(katchatheevu island) का भी नाम लिया।
कच्चथीवू, श्रीलंका और रामेश्वरम (भारत) के बीच स्थित एक द्वीप है जो कभी भारत का हिस्सा हुआ करता था। । करीब 285 एकड़ में बसे इस द्वीप पर अब श्रीलंका का अधिकार है। इसे 1974 में, तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने अपने समकक्ष श्रीलंकाई राष्ट्रपति श्रीमावो भंडारनायके के साथ 1974-76 के बीच चार समुद्री सीमा समझौतों पर हस्ताक्षर किए और कच्चथीवु द्वीप श्रीलंका को सौंप दिया था। तब शर्त यह रखी गई कि भारतीय मछुआरे अपना जाल सुखाने के लिए इस द्वीप का इस्तेमाल कर सकेंगे और द्वीप में बने चर्च में भारत के लोगों को बिना वीजा के जाने की अनुमति होगी। इस समझौते का तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री एम करुणानिधि ने तीखा विरोध किया था।
हालांकि, 1991 में तमिलनाडु विधानसभा ने प्रस्ताव पास किया थ। इसमें इस द्वीप को वापस लेने की मांग की गई। 2008 में तत्कालीन सीएम जयललिता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में कच्चातीवु द्वीप को लेकर हुए समझौते को अमान्य घोषित करने की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया था कि श्रीलंका को कच्चातीवु गिफ्ट में देना असंवैधानिक है। वहीं समझौते के बावजूद भारतीय मछुआरे मछलियों को छांटने और अपना जाल सुखाने यहां आते रहे लेकिन बाद में श्रीलंकाई नौसेना ने भारतीयों मछुआरों को पकड़ना शुरू कर दिया।
ज्वालामुखी विस्फोट से बना है कच्चातिवु द्वीप
ज्वालामुखी विस्फोट से 14वीं सदी में इस द्वीप का निर्माण हुआ था। 285 एकड़ के इस द्वीप का ब्रिटिश शासन के दौरान भारत और श्रीलंका दोनों इस्तेमाल करते थे। रामनाड के राजा (वर्तमान में रामनाथपुरम, तमिलनाडु) कच्चातीवु द्वीप के मालिक थे लेकिन बाद में इसे मद्रास प्रेसीडेंसी का हिस्सा बना दिया गया। 1921 में इस द्वीप पर भारत और श्रीलंका दोनों ने अपना दावा किया लेकिन विवाद अनसुलझा रहा। सरकारी दस्तावेजों में 1974 तक भारत का हिस्सा बना रहा।
क्या कहा पीएम मोदी ने?
पीएम ने जब इस द्वीप का हवाला दिया तब कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल वॉकआउट कर गए थे। इस पर पीएम ने कहा कि जो बाहर गए हैं, उनसे पूछिये कि ये कच्चातिवु द्वीप क्या है? यह कहां है? यहां इतनी बड़ी-बड़ी बातें कर देश को गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं। भारत माता की मृत्यु की कामना कर रहे हैं। और ये डीएमके वाले, उनकी सरकार, उनके मुख्यमंत्री मुझे आज भी चिट्ठी लिखते हैं कि मोदी जी कच्चातिवु द्वीप को वापस लाइए। ये कच्चातिवु है क्या? किसने किसी दूसरे देश को दिया था? कब दिया था? क्या ये द्वीप भारत माता नहीं थी। क्या वह हमारी मां भारती का अंग नहीं था। इंदिरा गांधी के नेतृत्व में इसे श्रीलंका को दे दिया गया। यह कांग्रेस का इतिहास है। मां भारती को छिन्न-भिन्न करने का इतिहास।
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