आईएएस अधिकारी आशीष मोरे का हुआ लद्दाख में तबादला, सरकार से हुआ था टकराव

दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिल्ली सरकार में तैनात आईएएस अधिकारी आशीष माधवराव मोरे का तबादला कर उन्हें लद्दाख भेज दिया। यह वही अधिकारी हैं, जो दिल्ली सरकार के साथ टकराव के चलते कई दिनों तक सुर्खियों में रहे। आशीष दिल्ली सरकार में सर्विसेज सेक्रेटरी के पद पर थे।

दिल्ली में सर्विसेज पर नियंत्रण के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के 6 घंटे बाद दिल्ली सरकार ने सबसे पहले मोरे के तबादले का ही आदेश जारी किया था। इसे लेकर दिल्ली सरकार और एलजी ऑफिस के बीच जमकर खींचतान भी हुई थी। सर्विसेज विभाग के मंत्री सौरभ भारद्वाज और मोरे के बीच भी बेहद तल्ख लहजे में पत्राचार भी हुआ था। अध्यादेश आने से पहले हुई सिविल सर्विसेज बोर्ड बैठक में मोरे के तबादले का प्रस्ताव भी पास किया गया था, लेकिन अध्यादेश जारी होने के चलते उस पर अमल नहीं हो पाया। उसके बाद से ही मोरे लगातार अपने पद पर बने हुए थे। वह दिल्ली के मुख्य सचिव के ओएसडी भी थे।

आशीष मोरे पर आरोप था कि आशीष सरकार के मंत्री की बात नहीं सुन रहे और मनमानी कर रहे हैं इस अधिकारी को दिल्ली सरकार के मंत्री ने एलजी का चहिता बताया था। दिल्ली सरकार में अन्य मंत्री ने भी आशीष मोरे और एलजी विनय कुमार सक्सेना पर खूब निशाना साधा थ। सोमवार को ही दूसरा आदेश जारी करके गृह मंत्रालय ने 2007 बैच के यूटी काडर के आईएएस अधिकारी उदित प्रकाश राय को सस्पेंड कर दिया है। इस वक्त मिजोरम सरकार में सचिव के पद पर तैनात राय भी पिछले दिनों काफी विवादों में रहे। उन पर आरोप था कि दिल्ली जल बोर्ड के सीईओ के पद पर रहते हुए उन्होंने किलोकरी इलाके में एक ऐतिहासिक स्मारक को तुड़वाकर उसकी जगह अपना सरकारी बंगला बनवा लिया। जब मामला एलजी के संज्ञान में आया, तो उन्होंने विजिलेंस जांच के आदेश जारी कर दिए।

इसके बाद विजिलेंस विभाग के विशेष सचिव वाईवीवीजे राजशेखर और उदित प्रकाश राय के बीच भी जमकर आरोप प्रत्यारोप का दौर चला। राय ने एलजी, सीएम और चीफ सेक्रेट्री को पत्र लिखकर राजशेखर पर उन्हें और उनके परिवार को प्रताड़ित करने, धमकाने और झूठे मामले में फंसाने का आरोप भी लगाया था। राय की पत्नी ने इस मामले में पुलिस कंप्लेंट भी दर्ज कराई थी। वहीं सतर्कता विभाग की शिकायत पर राय के खिलाफ भी फर्जीवाड़े की एफआईआर दर्ज हुई। गृह मंत्रालय की जांच में राय की एनुअल परफॉर्मेंस असेसमेंट रिपोर्ट में कई गड़बड़ियां पाई गई थीं, जिसके बाद मंत्रालय ने पत्र लिखकर दिल्ली सरकार को इससे अवगत कराया था।

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