पादरी की पत्नी भी गिरफ्तार, हनीट्रैप में फंसाकर कराती थी धर्मांतरण

गाजियाबाद। धर्मांतरण के मास्टरमाइंड पादरी महेंद्र की पत्नी सीमा को मोदीनगर पुलिस ने शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में पता चला कि वह युवाओं को हनीट्रैप में फंसाती थी। इसके बाद धर्मांतरण के लिए तैयार करती थी। इसमें कई युवतियां उसका सहयोग करती थीं। पुलिस सहयोगी युवतियों की तलाश कर रही है। इससे पहले पादरी को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है।

महेंद्र और सीमा पर मोदीनगर के गांव शाहजहांपुर में छात्र का धर्मांतरण कराने का केस दर्ज हुआ था। इसके मुख्य आरोपी पादरी महेंद्र को पुलिस ने तीन दिन पहले पकड़ लिया था। उससे पूछताछ में पता चला था कि वह और उसकी पत्नी 100 लोगों का धर्मांतरण करा चुके हैं। इसके बाद से पुलिस सीमा की तलाश में लगी थी। सीमा को पुलिस ने शुक्रवार को हापुड़ से गिरफ्तार कर लिया। वह मुंबई भागने की फिराक में थी। उसका मायका मुंबई में ही है।

दोनों ने हापुड़ में बैथहलम गोस्पल ट्रस्ट और इसी नाम से चर्च बना रखा है। हापुड़ के सूदना निवासी पादरी के पकड़े जाने पर ही यह खुलासा हो गया था कि दोनों को हर महीने लगभग एक लाख रुपये धर्मांतरण कराने के लिए मिल रहे थे। जिन लोगों का धर्मांतरण कराते थे, उन्हें भी पैसा दिया जाता था। इसके लिए अलग से रकम मिलती थी। खातों की जांच से पता चला कि अमेरिका से 50 लाख रुपये पादरी के खाते में आ चुके थे। सीमा और महेंद्र की शादी 15 साल पहले हुई थी। महेंद्र ने शादी से आठ साल पहले ईसाई धर्म अपनाया।

एसीपी ज्ञान प्रकाश राय ने बताया कि जांच में सामने आया कि कई युवतियों उनके साथ रहती थी और वह युवाओं को प्रेमजाल में उलझाकर उनसे ईसाई धर्म की तारीफ करती थी। शाहजहांपुर से भी कई युवतियां महेंद्र और सीमा के साथ आई थी। पुलिस उनकी भूमिका पता कर रही है। इसके अलावा महेंद्र खुद भी अनुसूचित जाति से था और उसका सॉफ्ट टारगेट अनुसूचित जाति के लोग ही थी। महेंद्र अनूसूचित जाति के लोगों को ईसाई धर्म अपनाने पर सामाजिक स्तर बढ़ने की बात कहकर उन्हें गुमराह करता था। पुलिस टीम धर्म परिवर्तन कराने में महेंद्र और सीमा के साथ लगे लोगों को तलाश रही है।

विदेशों में जाकर सीखी मतांतरण प्रक्रिया
सीमा ने पुलिस को बताया कि महेंद्र ने कई बार बाइबल पढ़ी है। ईसाई धर्म के रीति-रिवाज व तौर-तरीकों की महेंद्र को बहुत जानकारी है। वह कई क्रिस्चन देशों में धर्मगुरुओं के पास गया। वहां मतांतरण की विधि सीखी। इसलिए उसे पादरी की उपाधि दी गई। विदेशी लोगों के संपर्क में आने पर वह मतांतरण के गिरोह में शामिल हुआ और भारत में आकर मतांतरण का जाल बुनने लगा। इसमें सीमा ने भी महेंद्र का पूरा साथ दिया।

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